________________ 17. वरूणोपपात 17. पौरूषीमण्डल 18. गरूडोपपात 18. मण्डलप्रवेश 19. धरणोपपात 19. विद्याचरण विनिश्चय 20. वैश्रमणोपपात 20. गणिविधा 21. वेलन्धरोपपात 21. ध्यानविभक्ति 22. देवेन्दोपपात 22. मरणविभक्ति 23. उत्थानश्रुत 23. आत्मविशाधि 24. समुत्थानश्रुत 24. वीतरागश्रुत 25. नागपरिज्ञापनिका 25. सलेखनाश्रुत 26. निरयावलिका 26. विहारकल्प 27. कल्पिका 27. चरणविधि 28. कल्पावंतंसिका 28 आतुरप्रत्याख्यान 29. पुष्पिता 29. महाप्रत्याख्यान 30. पुष्पचूलिका 31. वृष्णिदशा ___ जहाँ तक श्वेताम्बर में प्रचलित आधुनिक वर्गीकरण का प्रश्न है, उसकी चर्चा के पूर्व यह जान लेना आवश्यक है - उसकी स्थानकवासी और तेरापंथ की परम्पराएं मात्र 32 ही आगम मान्य करती है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में भी दो मान्यताएं है- (1) 45 आगमों की और (2) 84 आगमो की। यहां यह ज्ञातव्य है कि 84 आगमों सूची के अंतर्गत 32 और 45 आगमग्रंथ भी सम्मिलित हो जाते हैं। स्थानकवासी एवं तेरापंथी परम्परा 11 अंग, 12 उपांग, 4 छेद, 4 मूल और 1 आवश्यक ऐसे 32 आगम मान्य करती है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में भी 11 अंग, 12 उपांग के नाम समान है। स्थानकवासी परम्परा द्वारा मान्य 4 मूल में (1) उत्तराध्ययन और (2) दशवैकालिक दोनों नाम समान है। नन्दीसूत्र और अनुयोगद्वार को श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा चुलिका सूत्र में रख देती है। 6 छेद सूत्रों में महानिशीथ और जीतकल्प- ये दो नाम अधिक है। चार नाम समान है। मूल में नन्दी और अनुयोगद्वार के स्थान पर आवश्यक और पिण्डनियुक्ति- ये दो नाम आते हैं। 10 प्रकीर्ण स्थानकवासी और तेरापंथी परम्परा को मान्य नहीं है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा द्वारा मान्य 84 आगमों की सूची निम्न है, इसमें बत्तीस और पैंतालीस भी समाहित है। [11]