________________ आगम निबंधमाला सकते यह उनकी प्रकाम निकरण वेदना कही गई है / यथा- समुद्र पार की वस्तुएँ देखने के तथा देवलोक के सुखों को प्राप्त करने के साधन और क्षमता सन्नी मनुष्य में भी नहीं होती है / निबंध-१२५ कोणिक-चेडा युद्ध में मरने वालों की समीक्षा किसी भी प्राचीन प्रत में ऐसा पाठ मिलता नहीं है, सभी प्रतों में यही संख्या मूलपाठ में मिलती है। यह संख्या दो दिन की है अन्य दस दिन युद्ध पहले भी हुआ था जिसमें दो करोड मरे हो तो युद्ध में कितन करोड आये ? युद्ध का मैदान 2-4 करोड खडे रहे, छावनी लगावे इतना कितना बड़ा होगा इत्यादि सभी प्रश्नो का समाधान यह है कि मूलपाठ ऐसा ही है उसमें कोई भेद विकल्प या पाठान्तर नहीं है। अत: आगम श्रद्धा से स्वीकारना ही रहा। 'सहस्साइं की जगह सयसहस्साई' भूल से लिखा गया हो ऐसा मानने में पाठान्तर भी कोई मिलना चाहिये / बिना कुछ आधार मिले मात्र तर्क-वितर्क से मान लेना व्यक्तिगत किसी के अधिकार की बात तो नहीं है तथापि वैकल्पिक अनाग्रहिक रूप से स्वीकारा जा सकता है / / शंका- चक्रवर्ती राजा के 96 करोड पैदल मनुष्य जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति में कहे हैं, जो 6 खंड की चक्रवर्ती की ऋद्धि रूप है, यहाँ युद्ध में दोनों पक्ष से आये मनुष्यों की संख्या 90 करोड कही है जो केवल एक खंड के आर्य क्षेत्र मात्र की संभव है / तो चक्रवर्ती के 96 करोड पैदल के सामने मात्र दो प्रतिपक्षी राजाओं की 90 करोड की पैदल सेना का कथन क्या विचारणीय नहीं बनता है ? समाधान- भगवती सूत्र में 90 करोड की संख्या का पाठ नहीं है उपांग सूत्र में है / एक करोड 80 लाख मरने का कथन भी भगवतीसूत्र में जोड करके नहीं कहा गया है 96 लाख और 84 लाख ये दो ही संख्या है। इस पाठ को हजार मान लेने पर मरने वालों की संख्या 1 लाख 80 हजार होगी और पैदल सेना की करोड की संख्या लाख में मानी जाय तो 90 लाख ही होगी जो चक्रवर्ती की 96 करोड पैदल 6 खंड की संख्या से मेल खा सकेगी। जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति में चक्रवर्ती [229