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________________ आगम निबंधमाला अभाव सा होता है अर्थात् यह कषाय क्षणिक होता है / इस कषाय के रहते जीव 10 वेंगुणस्थान तक बढ़ सकता है। यह कषाय आत्मगुणों में खास अवरोधक नहीं बनता है / मात्र वीतरागता या केवली अवस्था प्राप्त होने में बाधक होता है तथापि कई हलुकर्मी जीव इस कषाय को दसवें गुणस्थान में पूर्ण क्षय करके वीतराग सर्वज्ञ सर्वदर्शी बन जाते हैं / इस कषाय के उदय में आयुबंध होवे तो देवगति की प्राप्ति होती है। यह कषाय दिखने मात्र का या सिर्फ अस्तित्व रूप होता है किंतु अंतरंग में तीव्र परिणामी नहीं होता है / स्वार्थ परायणता या परसुखभंजक वृत्ति इस कषाय के उदय वाले में नहीं होती है / तथापि कषाय रूप अस्तित्व वाला होने से आत्मा के वीतराग गुण का घातक होता है। इसकी स्थिति नहींवत् होती है अर्थात् 1 दिन या अहोरात्र की भी स्थिति नहीं होती है अर्थात् अल्प समय में ही इस कषाय के परिणाम सहज भाव में परिवर्तित हो जाते हैं। . इसको दृष्टांत से इस प्रकार समझाया है- पानी के अंदर खींची गई पतली या मोटी लकीर तत्काल मिट जाती है वैसे ही इस कषाय वाले का क्रोध दिखने में छोटा या बड़ा कैसा भी हो, ज्यादा नहीं रहता है; तत्काल या उसी दिन समाप्त हो जाता है / घास का तिनका या वेत शीघ्र नम जाता है वैसे ही इस कषाय के मान वाले में नम्रता भी स्वाभाविक होती है। बांस, काष्ट वगेरे के छीलन में जो मोड होता है वह सहज सीधा हो सकता है वैसे ही इस कषाय के माया के साथ सरलता स्वाभाविक होती है। जिस तरह हल्दी का रंग धूप में रखने पर शीघ्र उड जाता है वैसे ही इस कषाय वाले का लोभ मानस भी शीघ्र पलट जाता है। इस प्रकार अनंतानुबंधी आदि चारों प्रकार के क्रोध मान माया लोभ आदि के कुल 16 भेद होते हैं / ये सभी कषाय एक ही व्यक्ति में पाये जा सकते हैं, क्रम अक्रम से इनका परिवर्तन होता रहता है / तथापि प्रथम मिथ्यात्व गुणस्थान वाले के 16 कषाय, चौथेसम्यग्दृष्टि गुणस्थान वाले में 12 कषाय(अनंतानुबंधी नहीं), पाँचवें श्रावक गुणस्थान में 8 कषाय(अप्रत्याख्यानी भो नहीं) और संयम के छठे गुणस्थान से नवमें गुणस्थान तक 4 संज्वलन के कषाय ही होते हैं / दसवें गुणस्थान में | 129]
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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