SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम निबंधमाला निषेध आदि विशेष संयमचर्या आवश्यक बन जाती है / जब कि श्रमणोपासक संथारा करते हुए भी अपने को श्रावक मानता है एवं उसके आसपास गृहस्थ जीवनमय वातावरण होता है / मकान, शय्या आदि भी निर्दोष गवेषणा वाला नहीं होता है किंतु उसके स्वयं के लिये ही बनाया हुआ होता है। कपडे भी उसके अपने निमित्त से ही खरीदे होते हैं, गवेषणा करके लाये हुए नहीं होते हैं / इत्यादि सूक्ष्म-सूक्ष्म अनेक सामाचारिक भिन्नताएँ साधु जीवन की संथारा वाले गृहस्थ से समझ लेनी चाहिये / संथारा भी तीन प्रकार का है- भक्तप्रत्याख्यान, इंगिनीमरण और पादपोपगम। साधक अपनी क्षमता, क्षेत्र-काल अनुसार जघन्य भक्तप्रत्याख्यान उत्कृष्ट पादपोपगमन संथारा में से किसी भी संथारे का मनोरथ कर सकता है। वस्तु स्थिति- तीन मनोरथ को मन, वचन, काया से जीवन में आत्म परिणत करते रहने से कर्मों की सदा महान निर्जरा होती है और साधक शीघ्र ही इस भव, परभव में मोक्ष का अधिकारी बनता है / अंगशास्त्र में कथित यह प्रेरक विधान और सहज महान लाभकारी आचरण है और साधु श्रावक दोनों के लिये करने का यहाँ स्पष्ट संदेश है / फिर भी आलस, संस्कार एवं प्रेरणा के अभाव में या व्यक्तिगत प्रमाद के कारण प्रायः 99 प्रतिशत श्रावक साधु इस लाभ से वंचित रहते होंगे। अतः इस प्रेरणादायी प्रश्नोत्तर का स्वाध्यायी साधक आज से ही नियमित तीन मनोरथों का चिंतन प्रारंभ कर के अपने कर्मक्षय के और मोक्षप्राप्ति के मुख्य उद्देश्य में अधिकतम लाभान्वित बने / निबंध-६३ __वक्ता कब बनें, परोपदेशे पांडित्यं प्रश्न-७ : ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे' इस उक्ति के विषय में इस शास्त्र में क्या कहा गया है ? उत्तर- प्रस्तुत उद्देशक के 62 वें सूत्र में उपदेश और उपदेष्टा की महिमा दर्शाते हए कहा गया है कि उपदेष्टा बनने के पहले सम्यक अध्ययन होना चाहिये, उसके बाद सम्यचिंतन-मनन होना चाहिये फिर संयम-तप-त्याग आदि का सम्यग् आचरण भी होना चाहिये / इस प्रकार तीनों 123
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy