________________ आगम निबंधमाला उसके साथ पृथ्वी भी दौड़ती है। चन्द्र भी (1) पृथ्वी के चक्कर लगाता है (2) पृथ्वी के साथ सूर्य के भी चक्कर लगाता है (3) और सूर्य के साथ सौरमंडल के भी चक्कर लगाता है। इस कल्पना में पृथ्वी और चंद्र की तीन गुणी गति अर्थात् करोड़ो माइल प्रति घंटा की गति होती है। इस प्रकार की तीव्र गति करने वाले चन्द्र पर किसी के जाने की कल्पना करना अथवा प्रयत्न करना एवं प्रचार करना केवल भ्रम मूलक है एवं हास्यास्पद है। त्रिविध गतियों की अवास्तविकता :- पृथ्वी तीन गुणी गतियों से दौड़ती है तो भी उस पर गर्मी के दिनों में कई बार हवा नाम मात्र भी नहीं रहती है ऐसा क्यों ? सामान्य गति से चलने वाले वाहन जब ठहरे हुए होते हैं तो गर्मी होती है किन्तु जब वे चल देते हैं तो हवा का संचार स्वतः हो जाता है / तब यदि पृथ्वी तीन गतियों से निरंतर दौड़ती होती तो कमरों के अंदर या मैदान में कहीं भी निरंतर जोरदार हवा का तुफान रहना चाहिये। किन्तु ऐसा नहीं देखा जाता है। इस दृष्टांत से एवं पक्षियों के उड़कर पुनः अपने स्थान में आने के दृष्टांत से पृथ्वी का स्थिर रहना ही सुसंगत होता है / वास्तविक सत्य :-सूर्य चन्द्र आदि ये ज्योतिषी देवों के विमान है जो गति स्वभाववाले होने से सदा अनादि काल से गतिमान रहते हैं। ये विविध रत्नों के शास्वत विमान है। ये अपने निश्चित सीमित मंडलो, मार्गों में एक सीमित गति से सदा निरंतर भ्रमण करते रहते हैं और इन रत्नमय विमानों के रत्न ही मनुष्य लोक को प्रकाशित एवं प्रतापित करते रहते है। .. न तो ये अग्निपिंड़ है और न ही पृथ्वी के कटे हुए टुकड़े रूप है। पृथ्वी से कटा टुकड़ा पृथ्वी से ऊपर जाकर गोल चन्द्र बन जाय और चमकने लग जाय प्रकाश देने लग जाय इत्यादि ये सारी वैज्ञानिक लोगों की बिना प्रत्यक्षीकरण की कल्पनाएँ मात्र है। सत्य सुझाव :- जब वैज्ञानिक बिना पास में गये एवं बिना देखे ही केवल अपनी रुचि या कल्पना मात्र से सूर्य को आग का गोला मान सकते हैं, मनवा सकते हैं तो फिर बिना देखें ही आगम श्रद्धा को स्वीकार कर इन्हें देवों के भ्रमणशील विमान ही स्वीकार कर लेना 49