________________ आगम निबंधमाला 30- भिन्नपिण्डपातिक- खंड-खंड किये हुए पदार्थों की भिक्षा लेने वाला, अखंड पदार्थ मूग चना आदि नहीं लेने वाला। -ठाणांग 5 रस परित्याग तप के नौ प्रकार :१-निर्विकृतिक- विगय रहित आहार करना / २-प्रणीत रसपरित्याग- अतिस्निग्ध और सरस आहार का त्याग करना-सादा भोजन करना / ३-आयंबिल- नमक आदि षट्रस तथा विगय रहित एक द्रव्य को अचित्त पानी में भिगोकर दिन में एक ही बार खाना / ४-आयाम सिक्थभोजी- अत्यल्प (कण मात्र) पदार्थ लेकर आयंबिल करना। ५-अरसाहार- बिना मिर्च मसाले का आहार करना / ६-विरसाहार- बहुत पुराने अन्न से बना हुआ आहार करना / ७-अन्ताहार- भोजन के बाद बचा हुआ आहार करना / ८-प्रान्ताहार- मंलिचा आदि तुच्छ धान्यों से बना हुआ आहार करना / ९-रुक्षाहार- रुखा-सूखा आहार करना / कायक्लेश तप के नौ प्रकार :१-स्थानस्थितिक- एक आसन से स्थिर खड़े रहना / बैठना नहीं / २-उत्कटुकासनिक- पुट्ठों को भूमि पर न टिकाते हुए केवल पांवों के बल बैठकर मस्तक पर अंजली करना / ३-प्रतिमास्थायी- एक रात्रि आदि का समय निश्चित कर कायोत्सर्ग करना। ४-वीरासनिक- कुर्सी पर बैठे व्यक्ति के नीचे से कुर्सी निकालने पर जो स्थिति होती हैं, उस आसन से स्थिर रहना / ५-नैषधिक- पुढे टिकाकर पालथी लगाकर बैठना एवं समय की मर्यादा करना। ६-आतापक- धूप आदि की आतापना लेना / ७-अप्रावतक- देह को कपड़े आदि से नहीं ढकना, खुले शरीर रहना। 249