________________ आगम निबंधमाला (6) उत्कृष्ट युक्ता असंख्याता जघन्य युक्ता असंख्याता की संख्या को, उसी संख्या से, उतनी बार गुणा करके एक घटाने पर जो राशि आवे, वह उत्कृष्ट युक्ता असंख्यात है। (7) जघन्य असंख्याता असंख्यात-उत्कृष्ट युक्ता असंख्यात में एक जोड़ने पर / (8) मध्यम असंख्याता असंख्यात-जघन्य और उत्कृष्ट असंख्याता असंख्यात के बीच की सभी संख्या। (9) उत्कृष्ट असंख्याता असंख्यात-जघन्य असंख्याता असंख्यात की संख्या को उसी संख्या से उतनी ही बार गुणा करके एक घटाने पर जो राशि आवे वह उत्कृष्ट असंख्याता असंख्यात है। ... अनंत का प्रमाण- 1. जघन्य परित्ता अनंत- उत्कृष्ट असंख्याता असंख्यात से एक अधिक / इस प्रकार असंख्यात के 9 भेद जो ऊपर बताए गये हैं उसी के अनुसार अनंत के भी आठ भेद समझ लेने चाहिए / उनके नाम 2. मध्यम परित्ता अनंत 3. उत्कृष्ट परित्ता अनंत 4. जघन्य युक्ता अनंत 5. मध्यम युक्ता अनंत 6. उत्कृष्ट युक्ता अनंत 7. जघन्य अनंता अनंत 8. मध्यम अनंता अनंत ।अनंत का नौवाँ भेद नहीं होता है अर्थात् लोक की अधिकतम द्रव्य, गुण या पर्याय की समस्त संख्या आठवें अनंत में ही समाविष्ट हो जाती है। अतः नौवें भेद की आवश्यकता भी नहीं है / / निबंध-६३ ___पल्योपम का भेद-प्रभेद युक्त विश्लेषण काल प्रमाण- काल की जघन्य इकाई 'समय' यह अति सूक्ष्म एवं अविभाज्य है / आँख के पलक पड़ने जितने समय में भी असंख्य समय व्यतीत हो जाते हैं। ऐसे असंख्य समयों की एक आवलिका होती है। संख्याता आवलिका का एक श्वासोश्वास होता है। वृद्धावस्था एवं व्याधिरहित स्वस्थ पुरुष का श्वासोश्वास यहाँ प्रमाणभूत माना गया है। श्वासोश्वास को 'प्राण' कहा गया है। 7 प्राण=एक स्तोक / सात स्तोक-एक लव / 77 लव-एक मुहूर्त / 1 मुहूर्त 3773 श्वासोश्वास-प्राण होते हैं / 1 मुहूर्त / 216