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________________ आगम निबंधमाला और नाम ठाणांग सूत्र के दसवें ठाणे में दिये गये हैं। नंदी और समवायांग के द्वादशांगी सूत्र परिचय में किसी भी सूत्र के अध्ययनों के नाम नहीं दिये गये हैं। वर्तमान में उपलब्ध इन आगमों के अध्ययनों में और ठाणांग सूचित अध्ययनों के नामों में विभिन्नता है। उक्त पाँच ही सूत्रों की अध्ययन संख्या ठाणांग में 10-10 ही कही है। समवायांग में उक्त चार सूत्रों के 10-10 अध्ययन कहे हैं किन्तु प्रश्नव्याकरण के 45 अध्ययन कहे हैं। नंदी में उक्त पाँच में अंतगड़ और अणुत्तरोपपातिक की अध्ययन संख्या नहीं कही है। प्रश्नव्याकरण के 45 अध्ययन कहे हैं। केवल विपाक और उपासक दशा के ही दस अध्ययन कहे हैं। वर्तमान में उपलब्ध अंतगड़ में कुल 90 अध्ययन है। अणुत्तरोपपातिक में कुल 33 अध्ययन है, शेष तीनों में दस दस अध्ययन है। उपासकदशा और विपाक इन दो सूत्रों के अध्ययन संख्या में विभिन्नता नहीं है किन्तु विपाक के नामों में विभिन्नता है। प्रश्नव्याकरण के अध्ययनों की संख्या 10 उपलब्ध है किन्तु के दसों ही भिन्न है। अणुत्तरोपपातिक के 10 नामों में भी भिन्नता है। इन विभिन्नता के कारणों की कई प्रकार से कल्पना-विचारणा की जाती है। आगमों में कोई भी कारण का संकेत नहीं है। सार- उक्त पाँच सूत्रों में उपासक दशा पूर्ण निर्दोष और एक मत है। अंतगड़, अणुत्तरोपपातिक और प्रश्न व्याकरण ये तीन सूत्र उपलब्ध कुछ और है एवं परिचय या अध्ययनों के नाम उससे अलग ही है। विपाक भी निर्दोष एकमत है किन्तु कुछ अध्ययन के नामों में कुछ-कुछ अंतर है जिसका अपेक्षा से समाधान शक्य है / इससे फलित यह है कि तीन अंग आगमों का पूर्णतः परिवर्तित रूप उपलब्ध है एवं विपाक सूत्र के कुछ अध्ययनों में परिवर्तन दिखता है। शेष सात अंग सूत्रों की किसी भी प्रकार की विभिन्नता इन परिचय सूत्रों में चर्चित नहीं है। आचारांग सूत्र के पिछले दो अध्ययन भावना और विमुक्ति नंदी की आगम सूचि में कहे 'बंधदशासूत्र' के सातवें, आठवें अध्ययन है, ऐसा ठाणांग सूत्र से ज्ञात होता है। निशीथ अध्ययन को आचारांग 210
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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