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________________ आगम निबंधमाला सहित विवेक पूर्वक स्पष्ट निवेदन करके यथायोग्य निर्णय किया जा सकता है। यदि इतनी योग्यता व क्षमता न हो तो अनुशासन बद्ध ही रहना ठीक होता है / ___इन सब अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ही आचार्यों द्वारा निर्मित एवं आगम से अतिरिक्त नियमों के अपालन के सम्बन्ध में कुछ कहा गया है। साथ ही गच्छ नायक की आज्ञा पालन का परम कर्तव्य भी बताया गया है / प्रश्न-४ ध्वनि यंत्र में बोलना, आगम, लेख या पेम्पलेट छपाना आदि आगम विपरीत आचरण है? शिथिलाचार है ? उत्तर- प्रश्न गत सभी प्रवत्तियाँ स्पष्टत: आगम विपरीत आचरण है एवं शिथिलाचार की द्योतक है / तथापि यदि किसी की व्यक्तिगत अल्पकालीन आपवादिक परिस्थिति से ये प्रवत्तियाँ हो और उन्हें दोष समझकर छोड़कर प्रायश्चित्त लेने का संकल्प हो तो शिथिलाचार नहीं है। प्रश्न. 5 सोडा, साबुन, सर्फ आदि से वस्त्र आदि धोना आगम विपरीत आचरण है ? व शिथिलाचार है? उत्तर- सोडा आदि क्षार द्रव्यों से वस्त्रादि धोने में यदि अच्छा दिखने की वत्ति है तो विभूषा वत्ति होने से आगम विपरीत आचरण है और विभूषावत्ति भी एक प्रकार का शिथिलाचार ही है। किन्तु व्यक्तिगत सावधान अवस्था से यदि विभूषावत्ति न हो और उस वस्त्र प्रक्षालन में संयम, स्वास्थ्य व आवश्यकता या किसी परिस्थिति का कारण हो तो शिथिलचार नहीं है / किन्तु क्षार पदार्थ युक्त पानी में मक्खी आदि संपातिम व कीड़ी आदि भूमिगत जीवों की विराधना से बचने का विवेक न हो तो प्राणी नाशक प्रवत्ति होने से आगम विपरीत आचरण कहलायेगा। प्रश्न. 6 मिट्टी के बर्तन मटकी आदि लेना व वापिस लौटाना आगम विपरीत है ? उत्तर- मिट्टी के पात्र लेना साधु को कल्पता है / अत: कल्पनीय पात्र को साधु ले सकता है और आवश्यकता न रहने पर छोड़ सकता है। / 94
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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