________________ आगम निबंधमाला सार :- गुणी व्यक्ति नमस्करणीय एवं आदरणीय दोनों होते हैं। किंत गुण आदरणीय होते हैं नमस्करणीय उन्हें नहीं कहा गया है / नमस्कार सूत्र यह मौलिक नाम शास्त्र का है और नवकार मंत्र यह परंपरा का है और रूढ सत्य बन गया है। नमस्कार सूत्र, आवश्यक सूत्र में गणधरो द्वारा रचित दो गाथामय है / प्रथम गाथा में नमस्कार करना यह मूल विषय है, दूसरी गाथा में नमस्कार का महात्म्य दर्शाया है अतः उसे चूलिका कहा गया है। भगवती सूत्र, कल्प सूत्र आदि में कहीं भी किसी लेखन के प्रारंभ में मंगल रूप पाँच पद या एक पद आता है वह लहियों द्वारा ऐच्छिक आदिमंगल रूप किया हुआ होता है, ऐसा सर्वत्र समझ लेना चाहिये / निबंध-२ जैन इतिहास संबंधी ज्ञान-विज्ञान ___ तत्त्वज्ञान में इतिहास का विषय भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है / जैन साहित्य संग्रह आज विशाल रूप में उपलब्ध है / उसमें मौलिक आगम साहित्य आचारांग आदि अनेक सूत्र है / जो तीर्थंकर गणधर से लेकर परंपरा से क्रमशः आज तक प्राप्त हो रहा है / अन्य साहित्य भी विभिन्न रूप से बाद के आचार्यों द्वारा संकलित संपादित है / आगमों में इतिहास का मुख्य विषय दृष्टिवाद अंग में होता है तथा छुटकर कुछ अन्य आगमों में भी दृष्टिगोचर होता है / दृष्टिवाद अंग का विच्छेद वीर निर्वाण के 1000 वर्ष बाद लगभग हुआ है / आगम लिखने की प्रणाली भी उसके आस-पास ही प्रारंभ हुई है। जीवनीएँ या परंपरा पट्टावली वगेरे लिखने की प्रणाली उस समय नहीं चली थी। यह प्रणाली विक्रम की 12 वीं तेरहवीं शताब्दि अर्थात् वीर निर्वाण के 1700-1800 वर्ष बाद शुरू नंदी सूत्र में जो अनेक आचार्यों के नाम-गुण कीर्तन है वह कोई पट्टावली या आचार्य परंपरा रूप नहीं है किंतु कालिक श्रुत अनुयोग के धारक युगप्रधान बहुश्रुत गीतार्थ आचार्यों का बहुमान / 17