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________________ आगम निबंधमाला निबंध- 1 . - नवकार मंत्र एक चिंतन चौदह पूर्व का सार कहा जाने वाला नवकार मंत्र किस शास्त्र में है, किसने रचा है, कितना पाठ मौलिक है, इत्यादि प्रश्नों का समाधान हमें प्राप्त करना आवश्यक है। नवकार मंत्र मौलिक रूप से एवं पूर्ण रूप से आवश्यक सूत्र क प्रथम सूत्र में आता है / आवश्यक सूत्र गणधर रचित प्रारंभिक शास्त्र है। उसी के 6 अध्यायों, 6 आवश्यकों के पूर्व में सर्वप्रथम पाठ नवकार मंत्र का है, जो परिपूर्ण 9 पदों के रूप में है। उसके पाँच पदों में प्रथम गाथा में पंच परमेष्ठी को नमस्कार किया गया है और शेष 4 पद दूसरी गाथा में चूलिका रूप में उन पंच परमेष्ठी का महात्म्य दर्शाया गया है। _____ कई लोग चूलिका से भ्रमित अर्थ में पड़ जाते हैं कि गणधर रचित तो मूल पांच पद ही है और दूसरी गाथा चूलिका रूप आचार्यों की बनाई हुई है; यह व्यर्थ की नासमझी का मूर्खता पूर्ण भ्रम और गलत प्रवाह है। वास्तव में प्रथम गाथा में पाँच पद को नमस्कार है और दूसरी गाथा में नमस्कृतों का महात्म्य है / पंचपरमेष्ठी नमस्कार मूल है और उसका महात्म्य चूलिका रूप है / / 'चूलिका कोई अलग चीज होती है मौलिक नहीं होती है यह एक भ्रम है / चूलिका सदासर्वत्र मौलिक ही होती है। मानव शरीर की रचना के साथ उसकी चोटी भी शरीर में मौलिक ही है / पर्वतों की रचना में उनकी चोटी भी मौलिक ही होती है कोई उपर से नहीं लगाई जाती है / शाश्वत पर्वत मेरु की चोटी-चूलिका भी उस पर्वत के साथ मौलिक ही शाश्वत होती है अन्य किसी के द्वारा बनाई नहीं होती है। बारहवें अंग दृष्टिवाद के 5 विभागों में एक चूलिका विभाग होता है वह भी मौलिक ही होता है एवं गणधर कृत ही होता है / दशवैकालिक सूत्र की रचना में 10 अध्ययन और दो चूलिका है वे भी मौलिक ही है अर्थात् स्वयंभाचार्य के द्वारा ही संपूर्ण रचित है। पीछे से कोई ने महाविदेह से लाकर लगाई ऐसी इतिहास परंपरा तो |13 /
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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