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________________ (36) 152 153 154 157 (38) (39) (40) 159 160 (42) 162 165 168 170 172 172 (44) 173 (46) (47) (48.) 183 आगम निबंधमाला साध्वी की गच्छ में रहते स्वतंत्र गोचरी(छेद.) ज्ञातिकुल में गोचरी गमन विवेक(छेद.) मकान की गवेषणा का विवेक ज्ञान(छेद.-आचा.) आगमानुसार पाट की गवेषणा का ज्ञान(आचा.) रात्रि भर पानी या अग्नि रहने वाले स्थान(छेदसूत्र) उपर की मंजिल में साधु का ठहरना, डोरी पर कपडे सुखाना भिक्षु का नौका विहार एवं वाहन उपयोग(निशी.) एषणा के 42 दोष-विश्लेषण १२वें व्रत संबंधीश्रावक के घर का विवेक ज्ञान . 32 शास्त्रों के श्लोक परिमाण तथा आयंबिल तप . . संयम तप का हेतु शुद्धि धर्म के चार वाद और उनका समाधान संक्षेप में कोटेशन) रात्रिभोजन : आगम तथा अन्य विचारकों के मंतव्य दंतमंजन का व्यवहार एवं आगम निष्ठा . ब्रह्मचर्य की जानो शुद्धि उपनियमों में जिसकी बुद्धि साधुओं के 10 कल्पों का स्वरूप और विवेक (छेद.) / पाँच व्यवहारों का ज्ञान एवं विवेक व्यव.) कल्प के भेद-प्रभेद एवं स्वरूप(भगवती-२५) . . 32 अस्वाध्याय संबधी आगमिक विश्लेपण (छेद.) अनुकंपा में दोष संबंधी विवेकज्ञान(निशी.१८) जैनागमों में स्वमूत्र उपयोग, शिवांबु चिकित्सा(छेद.) सुभाषित-विविध श्रमण गुण जैनधर्म का प्राण / जैन एमा सुझाव संवत्सरी विचारणा निर्णय चौथ की संवत्सरी का आग्रह आगम विरुद्ध संवत्सरी विचारणा (समवायांग) (निशीथ.) (जंबू.) सुभाषित संग्रह उत्तराध्ययन सूत्र सुभाषित संग्रह आचारांग सूत्र सुभाषित संग्रह दशवैकालिक सूत्र सुभाषित संग्रह सूयगडांग सूत्र पुरुषार्थ से भाग्य में परिवर्तन कर्म संबंधी कुछ उलझनों का हल (कोटेशन रूप में) आगम उपलब्धि क्रियोद्धार शब्द की वास्तविकता अपनी बात 00000 185 (51) (52) (53) (54) 127 199 203 (56) (57) 211 (59) (60) (61) (62) (63) (64) 213 214 217 221 227 232 236 237 237 238 239 ---
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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