________________ 46 / आर्हती-दृष्टि के बावजूद ग्राम के हजारवें भाग तक का वजन बता सकती है। उसने इस भारतौलक मशीन को मरणासन्न रोगी के पलंग से जोड़ दिया। वह मशीन उस व्यक्ति के कपड़े, पलंग, फेफड़ों की सांसों तथा उसे दी जानेवाली दवाइयों का वजन लेती रही। जब तक रोगी जीवित रहा, मशीन की सुई एक स्थान पर स्थिर रही लेकिन जैसे ही रोगी के प्राण निकले सुई पीछे हट गई और रोगी का वजन आधा छटांक कम हो गया। मैकडूगल ने ऐसे प्रयोग कई व्यक्तियों पर किये और उसने निष्कर्ष निकाला कि जीवन का आधारभूत तत्त्व है और वह अति सूक्ष्म है / उसका भी वजन है तथा वही सूक्ष्म तत्त्व आत्मा है / इस प्रकार आज के वैज्ञानिकों ने आत्मा नामक तत्त्व को स्वीकृति दी है और उसको भारयुक्त भी माना है। ____ जैन दार्शनिक आत्मा को अमूर्त मानते हैं और जो अमूर्त तत्त्व होता है वह भारहीन होता है अतः जैन दर्शन के अनुसार आत्मा भारहीन है। आज के वैज्ञानिक जो भार बता रहे हैं वह सूक्ष्म शरीर का है। जैन दर्शन के अनुसार संसारी आत्माएं सूक्ष्म शरीर से युक्त होती हैं। प्रत्येक संसारी आत्मा के साथ दो सूक्ष्म शरीर-तैजस और कार्मण जुड़े हुये हैं। कार्मण शरीर चतुःस्पर्शी परमाणुओं से निर्मित होने के कारण भारमुक्त है / वैज्ञानिक जो भार बता रहे हैं संभवतः वह तैजस शरीर का है जो अनवरत संसारी आत्मा से युक्त रहता है / सूक्ष्म शरीर के साथ आत्मा को कथंचिद् अभेद भी है। इस आधार पर यह वजन आत्मा का कहा जा सकता है / इसमें किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जैन दर्शन ने सांसारिक आत्मा का कथंचित् मूर्त भी माना है / मूर्त पदार्थ भारयुक्त हो सकते हैं। अतएव आत्मा का वजन होता है, यह कथन असमीचीन नहीं हैं।