________________ नोआगमभाव मनुष्योंमें धर्माधर्ममीमांसा ‘आदेसेण गदियाणुवादेण अस्थि गिरयगदी तिरिक्खगर्दा मणुस्सगदी देवगदी सिद्धगदी चेदि // 24 // श्रादेशकी अपेक्षा गतिमार्गणाके अनुवादसे नरकगति, तियञ्चगति, मनुष्यगति, देवगति और सिद्धगति है // 24 // ___ मणुस्सा चोइससु गुणटाणेसु अस्थि-मिच्छाइट्ठी सासाणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्टी असंजदसम्माइट्ठी संजदासंजदा पमत्तसंजदा अप्पमत्तसंजदा अपुवकरणपविट्ठसुद्धिसंजदेसु अस्थि उवसमा खवा अणियट्टिबादरसाम्पराइयपविठ्ठसुद्धिसंजदेसु अस्थि उवसमा खवा सुहुमसम्पराइयपविट्ठसुद्धिसंजदेसु अस्थि उवसमा खवा उवसंतकसायवीयरायछदुमत्था खीणकसायवीयरायछदुमत्था सजोगिकेवली अजोगिकेवलि त्ति // 27 // . चौदह गुणस्थानोंमें मनुष्य मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि, संयतासंयत, प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत, अपूर्वकरणप्रविष्टशुद्धिसंयतोंमें उपशमक और क्षपक, अनिवृत्तिबादरसाम्परायप्रविष्टशुद्धि संयतोंमें उपशमक और क्षपक, सूक्ष्मसाम्परायप्रविष्टशुद्धिसंयतोंमें उपशमक और क्षपक, उपशान्तकषायवीतरागछद्मस्थ, क्षीणकषायवीतरागछद्मस्थ, सयोगिकेवली तथा अयोगिकेवली होते हैं // 27 // - ‘मणुस्सा मिच्छाइटि-सासणसम्माइटि-असंजदसम्माइटिटाणे सिया पजत्ता सिया अपजत्ता // 8 // सम्मामिच्छाइटि-संजदासंजद-संजदट्ठाणे णियमा पजत्ता // 10 // एवं मणुस्सपजत्ता // 31 // मणुसिणीसु मिच्छाइटिसासणसम्माइविट्ठाणे सिया पजत्तियाओ सिया अपजत्तियाओ // 12 // सम्मामिच्छाइद्वि-असंजदसम्माइटि-संजदासंजद-संजदठाणे णियमा पजत्तियाओ // 3 //