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________________ शक्तिबन्ध के आसन अनेक व्यक्तियों, विशेष रूप से नये अभ्यासियों की मांसपेशियाँ और जोड़ बड़े कड़े रहते हैं। इस कारण वे योग-आसनों के प्रमुख अभ्यासों को करने में काफी कठिनाई का अनभव करते हैं। पवनमुक्तासन का संपूर्ण क्रम शरीर को ढीला करने में बड़ा प्रभावशाली है। आगे आने वाले बन्ध के अभ्यास नए अभ्यासी को आसन करने में बड़ी मदद करेंगे / जो नियमित रूप से आसन लगाते हैं, वे भी कभी-कभी कड़ेपन का अनुभव कर सकते हैं / अतः शरीर के कड़ेपन और लोचहीनता को हटाने के ये आदर्श अभ्यास हैं। .. शक्तिबन्ध क्या है ? प्राण के रूप में शक्ति शरीर के प्रत्येक भाग में रहती है। इसे सदा स्वतन्त्र रूप से प्रवाहित होते रहना चाहिए। शरीर में त्रुटिपूर्ण रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण प्राण के स्वतंत्र प्रवाह में बाधा पहुँचती हे / परिणामस्वरूप कड़ापन, गठिया और मांसपेशियों में तनाव उत्पन्न हो जाता है। शक्तिबन्ध के ये अभ्यास शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं और यह निश्चित कर देते हैं कि शरीर के अन्दर होने वाली प्रतिक्रियाएँ न केवल ठीक हैं, बल्कि आपस में संतुलित भी हैं | शरीर में सामान्यतः नलिकाविहीन ग्रन्थि-प्रणाली (Endocrinal System) में गड़बड़ी उत्पन्न होती है। रूस, पोलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी और भारत में किये गये वैज्ञानिक परीक्षणों से यह अन्तिम रूप से सिद्ध हो गया है कि आसन व शक्तिबंध के अभ्यास नलिकाविहीन ग्रन्थि-प्रणाली या अन्तःस्रावी ग्रन्थि-प्रणाली में सामंजस्य स्थापित करने में बड़े शक्तिशाली हैं / . अतः जो व्यक्ति आसन नहीं कर सकते हैं, उन्हें शक्तिबन्ध का अभ्यास . दो कारणों से करना चाहिए / पहला कारण है- उनके शरीर को अन्तिम रूप से आसनों हेतु तैयार करना और दूसरा - शारीरिक गतिविधियों में सामंजस्य बनाए रखना। . 37
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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