________________ श्वास शरीर को उठाते समय पूरक / शरीर को नीचे ले जाते समय रेचक | शरीर की उठी हुई स्थिति में अन्तर्कुम्भक (फेफड़ों में श्वास रोकना ) . टिप्पणी शरीर की उठी हुई स्थिति को तब तक बनाए रखना चाहिये जब तक कि - आमाशय की मांसपेशियों में कंपन का अनुभव न होने लगे। लाभ मांसपेशियों और जोड़ों को ढीला और शिथिल करने का यह एक अच्छा आसन है। इसका अभ्यास पवनमुक्तासन-क्रम के अन्त में या प्रातः काल जागने पर किया जाना चाहिये / स्नायविक दुर्बलता एवं तनाव से पीड़ित व्यक्तियों के लिये यह बड़ा उपयोगी है क्योंकि इसके अभ्यास से शिथिलता की स्थिति तुरन्त आती है। इसके अभ्यास से पेट और आँतों में स्थित कृमि (कीड़े) आसानी से निकल जाते हैं / यह पाचन क्रिया को सुधारता है और आँतों में गतिशीलता एवं क्रियाशीलता लाता है।