________________ हिलना-डुलना और लुढ़कना . .. .. . . .. . . . . . . . . .. - अभ्यास 20 अभ्यास 20: हिलना -डुलना और लुढ़कना विधि पीठ के बल सपाट लेट जाइये। दोनों पैरों को सीने तक मोड़ लीजिये। हाथों की अंगुलियों को एक-दूसरे में फँसाकर सिर के पीछे रखें। केहुनियों को जमीन पर रखे हुए शरीर को दोनों ओर बारी-बारी से लुढ़काइये। ऐसा 10 बार कीजिये। उसी स्थिति में रहिये, लेकिन भुजाओं को घुटनों के चारों ओर लपेट दीजिये। पूरे शरीर को मेरुदण्ड (रीढ़ की हड्डी ) पर कस कर आगे-पीछे हिलाइये-डुलाइये; उक. बैठने की स्थिति में आने का प्रयत्न कीजिये। टिप्पणी इस अभ्यास के लिये खास तौर से कई परतों में मोड़ा गया कम्बल आवश्यक है ताकि मेरुदण्ड को किसी प्रकार से क्षति न पहुँचे / ध्यान रखिये कि कहीं सिर जोर से धरती से न टकरा जाये / सीमाएँ जिन्हें मेरुदण्ड सम्बन्धी कोई शिकायत हो, वे इसे न करें। लाभ इस अभ्यास से पीठ, कमर और नितम्बों की मालिश होती है। प्रातः काल में इसका अभ्यास करना अत्यन्त लाभकारी है। . 34