________________ 'ध्यान' एवं शिथिलीकरण के समस्त अभ्यास | क्लोम ग्रन्थि : (सामान्य स्वास्थ्य) 'मधुमेह' के लिए स्वीकार्य आसन कीजिये। . कृमि H आँत को सभी प्रकार के कृमियों से मुक्त करने के लिए शंखप्रक्षालन लाभप्रद है / 'नौकासन' भी उपयुक्त है। कंधे : 'हृदय' एवं 'भुजा' देखिये। सामान्य कड़ेपन में पवनमुक्तासन 15, गोल कंधों में, विशेषकर बच्चों के लिए मकरासन का दीर्घकालीन अभ्यास, सुप्त वज्रासन, उष्ट्रासन, द्विकोणासन, बद्ध पद्मासन, सूर्य नमस्कार, पीछे झुकने वाले सभी आसन / .. खाजः सम्पूर्ण शरीर में खुजलाहट के अनेक कारण हैं। रक्त की अशुद्धि प्रधान कारण है / नाड़ीय-तनाव भी प्रमुख कारणों में से एक है। खुजली : 'खाज' की भाँति ही है। गर्भाशय : 'जननांग' देखिये। गर्भावस्था : 'जननांग' देखिये। गर्भ-विकार H गर्भाशय के कमजोर स्नायुओं के कारण यह रोग होता है / 'जननांग' की व्यवस्था हेतु दिये गये आसन देखिए / गर्भपात : 'गर्भ-विकार' देखिये। ग्रीवा : (सामान्य स्वास्थ्य हेतु व दर्द की अवस्था में) पवनमुक्तासन - अभ्यास 16, सुप्त वज्रासन, मत्स्यासन, ग्रीवासन, कंधरासन, शीर्ष पादासन, मेरुदंड को मोड़ने वाले सभी आसन / यदि ग्रीवा अधिक कमजोर नं हो तो सिर के बल किये जाने वाले आसनों का अभ्यास किया जा सकता है। गंजापन : सिर के बल किये जाने वाले आसन, विशेषकर शीर्षासन या उसका कोई प्रकारांतर। गुदाद्वार की नाही या नस में रक्त की कमी (hemorrhoids) : 'बवासीर' देखिये। गठिया रोग : वृक्क के लिए दिये गये अभ्यास देखिये / मांसाहार मत कीजिये / पर्याप्त जल ग्रहण कीजिये / पवनमुक्तासन - अभ्यास 1 से 16 कीजिये / गला (खरखराहट तथा रोग-निवारण) पवनमुक्तासन - अभ्यास 16, सिंहासन, सुप्त वज्रासन तथा मत्स्यासन / (अधिक लाभ हेतु इन अभ्यासों के साथ उज्जायी, शीतली व शीतकारी प्राणायाम को किया जा सकता है)। सिर 396