________________ धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन और चक्रासन / सामने झुकने वाले आसन विशेषतः - पश्चिमोत्तानासन, पाद हस्तासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, हलासन, मेरुदंडासन, निरालंब पश्चिमोत्तानासन, हंसासन, मयूरासन, पाशिनी मुद्रा, द्वि पाद शिरासन, भस्त्रिका प्राणायाम, अग्निसार क्रिया, उड्डियान बंध, नौलि। उदर : (सामान्य स्वास्थ्य एवं शक्ति प्राप्ति हेतु) उदर रोग के विस्तृत संदर्भ खंड में देखिये। पवनमुक्तासन (अभ्यास 17 से 21), शक्ति बंध के आसन, सुप्त वज्रासन, शशांकासन, योग मुद्रा आसन, मत्स्यासन, तोलांगुलासन, कोई भी सामने या पीछे झुकने वाला आसन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, हलासन, द्रुत हलासन, मेरुदंडासन, निरालंब पश्चिमोत्तानासन, हंसासन, मयूरासन, ब्रह्मचर्यासन / अग्निसार क्रिया, उड्डियान बंध, नौलि, शंखप्रक्षालन और कुंजल क्रिया। उन्माद : 'चिंता' देखिये। . एकाग्रता : सभी योगाभ्यास उचित ढंग से करने चाहिए, विशेषकर सिर के बल किये जाने वाले संतुलन के आसन / सभी प्राणायाम, विशेषतः नाड़ी शोधन, भस्त्रिका व उज्जायी / एकाग्रतापूर्वक सभी मुद्राओं के अभ्यास | 'त्राटक' अपूर्व शक्तिशाली है। . ध्यान के लिए एकाग्रता अनिवार्य है तथा ध्यानाभ्यास से एकाग्रता में वृद्धि होती है। एडिनायड्स ग्रन्थि (वृद्धि होना) : सिंहासन, नेति; उज्जायी प्राणायाम (खेचरी मुद्रा सहित), नेति। कमर : (सामान्य स्वास्थ्य हेतु) प्रजनन अंगों के लिए दिये अभ्यास / कमर दर्द : ‘पीठ दर्द' देखिये। कास रोग : दमा का ही कार्यक्रम उपयोगी है। क्रोष : शशांकासन, योग मुद्रा आसन, पश्चिमोत्तानासन, गर्भासन, कूर्मासन; मूल बंध एवं महाबंध; नाड़ी शोधन, भ्रामरी, शीतली, शीतकारी, कपालभाति व उज्जायी प्राणायाम एवं माण्डूकी, भूचरी, आकाशी, पाशिनी, प्राण मुद्रा. महामुद्रा, योग मुद्रा, महाबेध मुद्रा, योनि मुद्रा एवं नवमुखी मुद्रा।। 395