________________ के बलं किये जाने वाले सामान्य आसन | उज्जायी, शीतली, शीतकारी प्राणायाम का अधिकतम अभ्यास / नेति एवं कुंजल / घबराहट : 'चिंता' देखिये। चर्म : 'खाज' तथा 'खुजली' देखिये। चर्बी का जमाव : चर्बी दूर करने के लिए साधारणतः सभी आसन उपयोगी हैं। विशेष लाभप्रद अभ्यास सूर्य नमस्कार, गत्यात्मक पाद हस्तासन, द्रुत हलासन, सिर के बल किये जाने वाले आसन तथा प्राणायाम का उच्च अभ्यास हैं। यदि मोटापा चुल्लिका ग्रंथि के कारण हो तो 'चुल्लिका ग्रंथि' देखिये / विशेष स्थान पर चर्बी का जमाव हो तो उस अंग से संबंधित पवनमुक्तासन कीजिये। भारी एवं स्टार्चयुक्त भोजन ग्रहण करना और शारीरिक परिश्रम की कमी भी इसका कारण है। चेहरा : 'सूर्य नमस्कार' द्वारा चमकदार व स्वच्छ रंग प्राप्त किया जा सकता है / साथ ही सर्वांगासन, विपरीतकरणी मुद्रा, हलासन, सिंहासन कीजिए | उपवास अवश्य कीजिये। 'मुँहासा' देखिये। सूर्य नमस्कार, सिर के बल होने वाले आसन - विशेषकर सर्वांगासन एवं हलासन, पवनमुक्तासन - अभ्यास 16, मत्स्यासन, सुप्त वज्रासन, योगमुद्रा, पद्म सर्वांगासन, पीछे झुककर किये जाने वाले समस्त आसन, ग्रीवासन एवं शीर्ष पादासन। सभी प्राणायाम, विशेषकर बन्ध सहित भस्त्रिका, मूर्छा प्राणायाम व जालंधर बन्ध, आकाशी मुद्रा, विपरीतकरणी मुद्रा, महाबेध मुद्रा, पाशिनी मुद्रा / चुल्लिका ग्रंथि : (वृद्धि) 'चुल्लिका' देखिये / 'अंतःस्रावी ग्रन्थि -प्रणाली' भी देखिये। चिन्ता : (नाड़ीय तनाव) सूर्य नमस्कार, विपरीतकरणी मुद्रा के कुछ आसन, शीर्षासन, सर्वांगासन, कूर्मासन, शशांकासन, योगमुद्रा आसन, आनंद मदिरासन, पश्चिमोत्तानासन, पाशिनी मुद्रा, भुजंगासन, शलभासन, हलासन, गर्भासन, शवासन / . नाड़ी शोधन, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्छा, शीतली व शीतकारी प्राणायाम। 397