________________ स्रोतों के समान हैं जो केवल पतली धारा को ही प्रवाहित कर सकती हैं परन्तु प्रयत्न द्वारा इनमें से अधिक प्रवाह किया जाये तो एक दिन वह ऐसी नदी का रूप ग्रहण कर लेती हैं जिसमें जल-प्रवाह की बहुत क्षमता होती है। . योगाभ्यास के अंतर्गत अनेक ऐसे अभ्यास हैं जो ऐसी नाड़ियों को क्रियाशील बनाते हैं जिनकी गणना जीवन में कभी नहीं थी। इस क्रिया से ऐसी नाड़ी-वाहिनियाँ खुल जाती हैं जिनका कभी उपयोग नहीं हुआ / अतः मस्तिष्क एवं नाड़ियों की क्षमता में वृद्धि होती है / योग की यह 'नाड़ी-शक्ति प्रदायिनी' (nerve toning) प्रक्रिया है। 387