________________ भुजाओं में पहुँचा दी जाती है / अतः ज्ञान एकत्रित करने के लिये हम पुस्तक के पन्ने पलटने लगते हैं। पृष्ठवंश रज्जु यह मेरुदण्ड में स्थित केन्द्रीय नाड़ी संस्थान का विस्तार है। इसकी लम्बाई 17 इंच होती है। मेरुदण्ड के शीर्ष प्रदेश की शिरोधास्थि से प्रारम्भ होकर यह कटि प्रदेश की द्वितीय कटिस्थ कशेरुका तक फैली हुई होती है। मेरुदण्ड की नाड़ियाँ दो भागों में विभाजित होती हैं / प्रथम है पृष्ठ मूल जो संवेदनात्मक नाड़ियाँ हैं / द्वितीय अग्र मूल या ज्ञान नाड़ियाँ हैं। . . स्वयंचालित नाड़ी संस्थान जागृत या सुषुप्तावस्था में नाड़ी संस्थान चैतन्य रहता है / यह हमारे जीवन संबंधी कार्यों पर निगरानी रखता है तथा खतरे से हमारी रक्षा करता है / ये क्रियायें अधिकांशतः स्वचालित होती हैं / उन्हें एक क्षण के लिये भी विचार नहीं भेजा जाता / स्वयं चालित नाड़ी संस्थान हमारे लिये यह कार्य कर देता है / इस प्रणाली के अन्तर्गत अनुकम्पी एवं परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र नामक दो विपरीत शक्तियाँ हैं। . व्यक्ति का बाह्य वातावरण से संबंध स्थापित करने वाले अंगों एवं . स्नायुओं की क्रियाशीलता में वृद्धि करते हुये अनुकम्पी नाड़ी शरीर को बाह्य क्रियाओं के लिए तैयार करती है / परानुकम्पी नाड़ियाँ इसके लिए विपरीत कार्य करती हैं / शरीर की एकत्रित शक्ति का उपयोग करते हुये ये अंतरांगों को क्रियाशीलता प्रदान करती हैं। इस प्रणाली की क्रिया प्रतिनिधि सरकार की भाँति है अर्थात् एक भाग दूसरे का विरोध करता है। शरीर के व्यवस्थित क्रिया-कलापों तथा सक्षम रूप से उपयक्त क्रियाओं के लिये स्वयंचालित नाड़ी संस्थान के उपविभागों में उचित संबंध रहना अत्यावश्यक है / मस्तिष्क एवं नाड़ी-प्रणाली की क्षमता ___मस्तिष्क एवं नाड़ी संस्थान की क्षमता असीम है। सामान्य जीवन में मनुष्य अपनी इस शक्ति का बहुत कम अंश उपयोग में लाता है / मानसिक विक्षिप्तता की स्थितियों में यह मात्रा अपेक्षाकृत न्यून होती है / यह अनुभव किया गया है कि यदि मस्तिष्क को विभिन्न विधियों से कार्य के लिये उत्प्रेरित किया जाये तो कई नवीन वाहिनियाँ खुल जाती हैं / नाड़ियाँ उन सूखे जल 386