________________ ‘सजगता का केद्र अनुकंपी तन्त्रिकाओं से निर्मित है तथा इसकी स्थिति हाइपोथैलेमस के पृष्ठ - प्रदेश में है / परानुकम्पी तन्त्रिकाओं से रचित सुषुप्ति केन्द्र हाइपोथैलेमस के अग्र प्रदेश में स्थित है। स्मृति यह विश्वास किया जाता है कि स्मृतियों का संग्रह मस्तिष्क के निम्न प्रदेश के अग्र क्षेत्र के अन्तिम भाग में होता है। विद्युतीय या नाड़ीय उत्प्रेरणा द्वारा किसी विशेष बिन्दु को प्रदान कर अच्छी या खराब भूतकालिक स्मृतियों का स्मरण किया जा सकता है। नाड़ी वाहिनियाँ नाड़ी संस्थान के अंतर्गत केवल मस्तिष्क ही नहीं, वरन् मेरुदण्ड या पृष्ठवंश- रज्जु तथा उनकी शाखायें भी सम्मिलित हैं / ये शाखायें सम्पूर्ण शरीर में फैली हुई हैं। यह एक बृहत् दूरभाषीय यंत्र की तरह है। यहाँ से असंख्य सन्देश मस्तिष्क को एवं वहाँ से अन्य अंगों को भेजे जाते हैं / इस प्रकार शरीर के अंग एवं स्नायु मस्तिष्क से संबंधित होते हैं। कुछ सन्देश चेतना स्तर पर भेजे जाते हैं परन्तु अधिकांशतः ऐसा नहीं होता / ... शरीर की इस आवागमन - प्रक्रिया के लिये विभिन्न प्रकार की नाड़ियों की आवश्यकता होती है। प्रथम वर्ग संवेदनावाहक नाड़ियों का है। ये हमारी शारीरिक अवस्था, दर्द व बाह्य वातावरण का ज्ञान कराती हैं। संवेदना प्रसारित करने वाली प्रत्येक नाड़ी को ग्राहक नाड़ियों की आवश्यकता पड़ती है / वस्तु, सुख - दुःख आदि का अनुभव विशेष नाड़ी - ज्ञान पर निर्भर रहता है जो अन्य संवेदना ग्रहण करने में असमर्थ होता है / संपूर्ण शरीर के चर्म पर एवं उसके भीतर ये संवेदनात्मक नाड़ियाँ एक - दूसरे के समीप स्थित रहती हैं / इनमें से होकर जाने वाले नाड़ी-प्रवाह मस्तिष्क में पहुँचते हैं / तत्पश्चात् यहाँ से ये ऐसे केन्द्रों को भेजे जाते हैं जो उस विशेष संवेदना को नियंत्रित 'करते हैं / भूतकाल के अनुभव के आधार पर उनका अर्थ स्पष्ट किया जाता है। निर्णय होने पर आज्ञा नाड़ी कहलाने वाली दूसरे वर्ग की नाड़ियाँ क्रियाशील हो जाती हैं। इनकी दिशा स्पष्टतः मस्तिष्क से स्नायुओं की ओर होती है तथा वे उन्हें गति एवं उसके समय का संदेश देती हैं / उदाहरणार्थ - किसी विशेष वस्तु की ओर हमारे नेत्र आकर्षित होते हैं। मान लीजिये वह कोई पुस्तक है। हम उसके विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये .. उत्सुक हो जाते हैं। संदेशों की श्रृंखला अंगुलियों के स्नायुओं, हाथों एवं 385