________________ शरीर में स्थित नसों को उनके समरूप या उनके द्वारा उत्पन्न की गयी भौतिक रचना कहा जा सकता है | नाड़ियाँ वे सूक्ष्म नलिकायें हैं जिनमें से प्राण - शक्तियों का प्रवाह होता है / आत्मिक शरीर की अनेक नाड़ियों में से 14 महत्वपूर्ण हैं तथा इन 14 नाड़ियों में 3 प्रमुख एवं सर्वाधिक महत्व की हैं। ये हैं- इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना / सभी नाड़ियाँ सुषुम्ना की उपनाड़ियाँ हैं / इड़ा - पिंगला का समावेश भी इसमें है। सुषुम्ना नाड़ी का प्रवाह मेरुदण्ड में मूलाधार चक्र (निम्नतम प्रदेश) से आज्ञा चक्र (शीर्ष प्रदेश) तक है। इस सुप्त नाड़ी का रंग चाँदी-सा है। मूलाधार चक्र के बायीं ओर से निकलकर प्रत्येक चक्र में से वक्राकार बहती हुई अन्त में आज्ञा चक्र के बायीं ओर समाप्त होने वाली नाड़ी ‘इड़ा' है। इड़ा का रंग नीला है। इसके विपरीत मूलाधार के दाहिनी ओर से निकलकर प्रत्येक चक्र में 'इड़ा' की. विपरीत दिशा में वक्राकार बहकर जाने वाली 'पिगला' नाड़ी का अन्त आज्ञा चक्र के दाहिनी ओर होता है / इसका रंग अंगार -सा लाल होता है। ___ 'इडा' और 'पिंगला' हमारे शरीर में दो विपरीत ध्रवों से बहने वाली जीवन-शक्तियों के प्रवाह - मार्ग हैं / 'इड़ा' ऋणात्मक है जिसे चंद्र नाड़ी भी कहते हैं। 'पिंगला' धनात्मक है। इसे सूर्य नाड़ी कहा जाता है। निम्नांकित तालिका से इनके गुण स्पष्ट हो जाते हैंगुण : इड़ा पिंगला श्वसन . बायाँ नासिका छिद्र दाहिना नासिका छिद्र तापक्रम गरम स्त्रीलिंग पुंल्लिंग मानसिक शारीरिक नीला लाल शीतल लिंग रजत स्वर्ण शक्ति ऋणात्मक परानुकंपी गंगा धनात्मक अनुकंपी यमुना नदी सूर्य . इडा, पिंगला तथा सुषुम्ना में शक्तियों का तीव्र प्रवाह क्रमागत 357