________________ अभ्यास इस अभ्यास में बिना किसी कठिनाई के उपरोक्त तीनों क्रियाओं का . . अभ्यास किया जाता है / खड़े होकर उड्डियान बन्ध लगाइये / क्रमानुसार मध्यम, वाम तथा दक्षिण नौलि कीजिये | गति धीमी तथा एक समान हो। बहिर्कुम्भक लगाते हुए गति तीव्र कर दीजिये। स्नायुओं को अधिकतम शिथिल कर पूरक कीजिये / श्वसन समाप्त हो जाने के उपरान्त क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये। पूर्व के अभ्यास नौलि क्रिया का प्रथम अभ्यास प्रारम्भ करने के पूर्व अग्निसार एवं उड्डियान बंध पर अधिकार पाना अनिवार्य है। समय कुम्भक लगाने की क्षमतानुसार प्रत्येक ओर से तीन - तीन आवृत्तियाँ : कीजिये। प्रक्रिया में पूर्णता - प्राप्ति की अवधि प्रतिदिन नियमित दीर्घकालीन अभ्यास करना अनिवार्य है। यदि तीन माह के उपरान्त आप चतुर्थ अभ्यास करने में सफल हैं तो .. उन्नति अच्छी है। सावधानी योग शिक्षक से इसकी शिक्षा ग्रहण करना उत्तम है। भोजन के कम से कम चार घण्टे उपरान्त ही अभ्यास कीजिये | उच्च रक्तचाप, आमाशय या पेट के घाव, हर्निया या अन्य गंभीर पाचन संबंधी विकारों में अभ्यास नहीं करना चाहिए / लाभ उदर के समस्त रोगों को दूर करने के लिए शक्तिशाली अभ्यास है। प्रजनन -संबंधी विकारों को दूर करने में मदद करता है / आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हुए मणिपुर चक्र के जागरण में सहयोग प्रदान करता है। 346