________________ सीमाएँ पेट के नासूर, हर्निया, हृदय - विकार एवं उच्च रक्तचाप में वर्जित है। .. लाभ अनुपयुक्त भोजन एवं अधिक मात्रा में भोजन ग्रहण करने के परिणाम - स्वरूप अपचन हो जाता है / इस दशा में आधुनिक व्यक्ति कुछ गोलियों के सेवन द्वारा लाभ की इच्छा रखते हैं परन्तु न्यूनतम हानि एवं सर्वोत्तम लाभ वाली शरीरगत प्राकृतिक विधि 'वमन' है। मूलशोधन विधि इस क्रिया में हल्दी की नर्म जड़ का प्रवेश गुदाद्वार से धीरे-धीरे भीतर किया जाता है तथा उसे पुनः बाहर निकाला जाता है / इस विशेष जड़ की अनुपलब्धता पर मध्यमा अंगुली का प्रयोग किया जा सकता है। अंत में गुदा - मार्ग को जल से अच्छी तरह धो लीजिये। लाभ यह क्रिया गुदा - प्रदेश की सफाई करती है / हल्दी के पौधे का औषधि के रूप में बहुत महत्व है / यह रक्त को शुद्ध करने वाला एवं घावों को सड़ने - गलने से बचाने वाला है / अतः भारत के अनेक स्थानों में इसका प्रयोग अनेक घावों में एवं कटे हुए स्थान पर स्पर्शदोष की प्रतिकूल दवा के रूप में किया जाता है।' निम्न - प्रदेश में एकत्रित कड़े मल का सहज निष्कासन कर रक्त - संस्थान को अशुद्ध या अव्यवस्थित होने से बचाया जा सकता है। वक्रों को प्रेरित करता एवं अपचन दूर करता है। .. 344