________________ योग्य निर्देशक से ही इसका प्रशिक्षण प्राप्त कीजिये। इसका अभ्यास खाली पेट में ही कीजिये / बहुत अधिक लम्बे वस्त्र को मुँह के भीतर न डालिए; अन्यथा इसका प्रवेश आँत में हो जायेगा / अभ्यास - काल में पूर्णतः मौन रहिये / लाभ दमा, दीर्घकालीन बलगम, कास रोग (Bronchitis) तथा श्वसन - संस्थान के रोगों को दूर करने के लिए उपयोगी अभ्यास है / अपच, पेट की वायु व अम्लता से बचाव एवं उनका निवारण करता है। (3) वमन धौति इच्छाधीन वमन क्रिया जठर की सफाई की विधि है। इस क्रिया के दो . प्रकार नीचे वर्णित हैं(क) कुंजल क्रिया विधि सीधे खड़े हो जाइये / अब छः गिलास नमकीन कुनकुना पानी लीजिये और जितनी जल्दी हो सके, इसे पी लीजिये। आगे झुकिये / दाहिने हाथ की तर्जनी और मध्यमा को गले में अधिक से अधिक अन्दर डालिए / नाखून छोटे तथा साफ हों। जिह्वा के पिछले भाग पर मध्यमा से दबाव डालिए / इससे वमन होगा और पेट का सम्पूर्ण जल तेज बहाव की श्रृंखला द्वारा बाहर आ जायेगा / जल के पूर्णतः निकलने तक जिह्वा पर दबाव डाले रहिए। समय प्रतिदिन खाली पेट में / शंखप्रक्षालन क्रिया के उपरांत / सावधानी अभ्यास के 20 मिनट बाद तक अन्न ग्रहण न करें। सीमाएँ दमा, पेट के नासूर, हृदय - विकार व हर्निया में निर्देशक से सलाह लें। 342