________________ पानी का स्वाद नमकीन होने तक नमक मिलाइये / नमक का परिमाण न अधिक हो और न बहुत कम / व्यायाम करने के लिए आरामदायक हल्के वस्त्र धारण कीजिये / तनावरहित व सुखद वातावरण में अभ्यास कीजिये / किसी प्रकार की घबराहट या मानसिक तनाव न रहे, इस हेतु पाँच-दस व्यक्तियों के समूह में अभ्यास कीजिये ताकि सरलतापूर्वक एवं हल्के मन से क्रिया सम्पन्न की जा सके। विधि . क्षमतानुसार शीघ्रता से दो गिलास नमकीन पानी पीजिये / तत्पश्चात् निम्नलिखित पाँच आसनों का अभ्यास कीजिये / प्रत्येक आसन की आठ आवृत्तियाँ कीजिये। ताड़ासन - पृष्ठ संख्या 100 देखिये / तिर्यक् ताड़ासन - पृष्ठ संख्या 102 देखिये / कटि चक्रासन - पृष्ठ संख्या 99 देखिये / तिर्यक् भुजंगासन - पृष्ठ संख्या 142 देखिये | उदराकर्षणासन - पृष्ठ संख्या 44 देखिये / आसनों के खंड में वर्णित विधि के अनुसार ही इनका अभ्यास कीजिये। प्रश्न यह उठता है कि इन आसनों का अभ्यास क्यों किया जाता है ? कारण यह है कि अन्न - नलिका में जठर एवं गुदाद्वार के मध्य अनेक * द्वार हैं जो इस नियंत्रित प्रदेश को पाचन क्रिया के समय खोलते एवं बंद करते हैं। शंखप्रक्षालन-क्रिया के समय उपरोक्त आसनों के अभ्यास से इनके स्नायु शिथिल हो जाते हैं तथा नमकीन जल को भीतर प्रवेश का मार्ग मिल जाता है / इस जल का प्रवाह गुदाद्वार की ओर होता है जहाँ से * उसका निष्कासन हो जाता है / पाँच आसनों के पश्चात् पुनः दो गिलास नमकीन पानी पीजिये। पुनः पाँच आसनों की आठ-आठ आवृत्तियाँ कीजिये। पुनः दो गिलास नमकीन पानी ग्रहण कीजिये / पूर्वतः पाँच आसनों की आठ-आठ आवृत्तियाँ कीजिये / अब शौच के लिए जाइये / दस्त सरलता से हो तो ठीक है, अन्यथा किसी 335