________________ धौति धौति शरीर के शुद्धिकरण की सामान्य क्रिया है। शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई के लिए निम्नांकित विधियाँ हैं- . दंत धौति ग्रीवा के ऊपरी अंगों की सफाई के लिए यह धौति क्रिया है / दाँत धोने का महीन चूर्ण या नीम की दातौन का प्रयोग इसके अंतर्गत आता है जिससे दाँतों को स्वच्छ किया जाता है / अन्य क्रियाएँ ये हैं- . जिह्वा धौति अंगुलियों से रगड़ कर जिह्वा की सफाई। कर्ण धौति कपालरंध्र धौति सिर एवं खोपड़ी की सफाई / चक्षु धौति जल द्वारा नेत्रों की सफाई। वातसार भौति . मुँह से वायु पीकर जठर को नवजीवन प्रदान करने की विधि है। भुजंगिनी मुद्रा में भी यही क्रिया की जाती है। पेट में कुछ देर हवा को घुमाया जाता है, तत्पश्चात् अँभाई लेते हुए धीरे-धीरे वाय का निकास किया जाता है / इस अभ्यास से अनेक उदर -रोग दूर होते हैं। वारिसार धौति या शंखप्रक्षालन हठयोग के अंतर्गत यह महत्वपूर्ण क्रिया है। 'प्रक्षालन' का अर्थ हैपूर्णतः साफ करना / इस विधि द्वारा 'शंखाकृति' अर्थात् आँतों की सफाई की जाती है / इसी कारण इस क्रिया का यह नामकरण है। यह मुँह से गुदाद्वार तक पूर्ण अन्ननलिका के शुद्धिकरण की एक विधिवत् एवं सरल क्रिया है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। योग्य योग शिक्षक के निर्देशन के बिना यह क्रिया नहीं करनी चाहिए। प्रस्तावना शंख प्रक्षालन के दिन क्रिया के पूर्व चाय, कॉफी या भोज्य पदार्थ ग्रहण न कीजिये / (क्रिया के पश्चात् ग्रहण करने योग्य भोज्य - पदार्थों के विषय में आगे वर्णन मिलेगा। एक साफ बाल्टी या किसी भी साफ बर्तन में कुनकुना पानी भरिये / . 334