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________________ गठिया निरोधक अभ्यास इन अभ्यासों का शरीर के विभिन्न जोड़ों एवं अंगों पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है / यद्यपि ये बड़े सरल लगते हैं परन्तु अभ्यासी पर इनका बड़ा सूक्ष्म प्रभाव . पड़ता है / अभ्यास के इस समूह को संस्कृत में 'सूक्ष्म - व्यायाम' भी कहते हैं। - पवनमुक्तासन प्रारम्भ करने से पूर्व अपने आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तनावरहित स्थिति में लाने के लिये शवासन का अभ्यास करें। पीठ के बल लेट जायें। पैरों के बीच थोड़ा फासला छोड़ दें। हाथ कमर के दोनों ओर तथा हथेलियाँ ऊपर की ओर चित रखें / अपने सभी जोड़ों एवं मांसपेशियों को ढीला छोड़ने का प्रयास कीजिए / सभी प्रकार के तनावों से मुक्त हो जाइये / अपने शरीर का अनुभव कीजिए; श्वास - प्रश्वास के प्रति जागरूक रहिये / ध्यान रहे कि आप शिथिलीकरण का अभ्यास कर रहे हैं / बिना किसी प्रयास के श्वास का प्रवाह स्वतः और सामान्य रूप से होता रहे / अपनी श्वासों को गिनिये / श्वास - गणना के अभ्यास के दौरान किसी भी प्रकार के विचारों को दबाइये नहीं। भावनात्मक रूप से प्रभावित हुए बिना उन्हें साक्षीभाव से देखते जाइये / आपका मुख्य लक्ष्य शिथिलीकरण है / सम्पूर्ण शरीर और मन को पूरा ढीला छोड़ दीजिये / कुछ समय के लिए अपनी समस्त चिन्ताओं, आशंकाओं एवं सांसारिक समस्याओं को भूल जाइए।। कुछ क्षणों के बाद अपने शरीर का अनुभव करते हुए हाथों और पैरों को धीरे-धीरे हिलाते हुए उठ बैठिये / अब आप शारीरिक और मानसिक रूप से पवनमुक्तासन प्रारम्भ करने के लिए तैयार हैं।
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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