________________ अब लोटा हटा लीजिये / भस्त्रिका प्राणायाम की भाँति तीव्र श्वसन द्वारा नासिका को स्वच्छ कीजिये / श्वास छोड़ने की गति अत्यधिक तीव्र न हो, अन्यथा क्षति पहुंचेगी। अब दाहिने नथुने में लोटे की टोंटी को लगाइये / बायीं ओर सिर को झुकाइये / जल का प्रवाह दाहिने नथुने में भेजिये जो बायें से बाहर आ जाये / इस प्रकार ऊपर वर्णित क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये / पुनः क्रमशः बायें एवं दाहिने नथुनों से नेति-क्रिया कीजिये / अंतिम बार फिर बायें तथा दाहिने नथुने से क्रिया को दुहराइये / नासिका को शुष्क करना अब निम्न विधि के अनुसार नासिका को पूर्णतः स्वच्छ एवं शुष्क कीजिये। दोनों पैरों को परस्पर समीप रखते हुए खड़े हो जाइये। दोनों हाथों को पीछे बाँध कर रखिये | कमर से सामने की ओर झुकिये / सिर ऊपर उठा रहे / तीस सेकेण्ड तक इस स्थिति में.रुकिये। इस क्रिया से नासिका का पानी बाहर आ जायेगा | झुकी स्थिति में ही नासिका से पाँच बार धौंकनी की तरह श्वसन - क्रिया कीजिये / पुनः सीधे खड़े हो जाइये। एक नथुने को दबाकर बंद कर लीजिये। खुले नथुने से तीव्र गति से तीस बार श्वसन - क्रिया कीजिये / रेचक पर बल डालिये ताकि नासिका-छिद्र से नमी बाहर आ जाये। दूसरे नथुने से भी उपरोक्त क्रिया कीजिये। .पुनः दोनों नासिका छिद्रों से इसी क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये | इस सरल क्रिया के उपरांत नासिका में कोई जल - कण नहीं रह जायेगा / यदि कुछ जल शेष रह जाये तो पूर्ण जल के निकास तक इस क्रिया को कीजिये। . सामान्य निर्देश जिन व्यक्तियों की नासिका में रचनात्मक अवरोध हैं, वे इस क्रिया का अभ्यास करने में समर्थ नहीं होंगे / ऐसी स्थिति में उन्हें सूत्र - नेति का . अभ्यास करना चाहिये / इस क्रिया का वर्णन आगे किया जायेगा। इसमें 331