________________ त्राटक त्राटक त्राटक परम्परा से इस अभ्यास को हठयोग का एक अंग माना जाता है। यह अभ्यास 'मुद्रा' के अभ्यास से समानता रखता है इसलिए इसे 'राजयोग' का भी अंग माना गया है. इसका नियमित अभ्यास व्यक्ति में असीम एकाग्रता की वृद्धि करता है / एकाग्रता की इस शक्ति के परिणामस्वरूप . साधकों में गुप्त-अप्रयुक्त शक्ति का जागरण होता है। विधि .. इस क्रिया की अनेक विधियाँ हैं किन्तु सर्वमान्य एवं सरलतम विधियाँ : निम्नानुसार हैंप्रथम अभ्यास अंधेरे कमरे में किसी आरामदायक आसन में बैठिये / ध्यान के आसनों को प्राथमिकता दीजिये। एक प्रज्ज्वलित मोमबत्ती को लगभग डेढ़ या दो फुट की दूरी पर नेत्रों के सामने धरातल पर रखिये / सर्वप्रथम नेत्रों को बन्द कीजिये / मेरुदण्ड को सीधा एवं शरीर को शिथिल रखिये / . स्थूल शरीर पर पूर्णतः अपनी चेतना को रखिये / शरीर को मूर्तिवत स्थिर 325