________________ ताड़न क्रिया ताड़न क्रिया विधि पद्मासन में बैठकर मूलाधार चक्र का ध्यान कीजिये। हथेलियाँ भूमि पर समतल तथा शरीर के दोनों बाजू में स्थिर रहेंगी। दीर्घ पूरक के बाद अंतर्कुम्भक तथा जालंधर बंध का अभ्यास कीजिये / हाथों को सीधा करते एवं शरीर को मोड़ते हुए ऊपर उठाईये एवं नीचे लाते हुए नितम्बों को जमीन पर पटकिए / मूलाधार चक्र परं एकाग्रता. बनाये रखिये। कुंभक की पूर्ण अवधि में क्रिया की पुनरावृत्ति 7 बार कीजिए। ' तत्पश्चात् नितम्बों को भूमि पर टिकाकर रेचक कीजिये / रेचक क्रिया दीर्घ एवं मंद रूप से हो / यह एक आवृत्ति है / सामान्य स्थिति में पुनः दीर्घ पूरक कीजिये तथा प्रक्रिया को दुहराइये। टिप्पणी अभ्यास में अनावश्यक श्रम न कीजिये / शरीर को ऊपर उठाने एवं नीचे लाने पर नितम्बों, पैरों के पृष्ठ-प्रदेशों का स्पर्श भूमि से हो एवं यह क्रिया साथ-साथ होनी चाहिए। आवृत्ति प्रारम्भिक अवस्था में 3 आवृत्तियाँ कीजिए। अभ्यास के बाद 10 या अधिक आवृत्तियाँ कीजिये / एकाग्रता पूर्ण अवस्था में मूलाधार चक्र पर / सावधानी नितम्बों को अधिक वेग से भूमि पर न पटकिये, अन्यथा चोट पहुँच सकती है। लाभ प्रत्येक व्यक्ति में निहित सुषुप्त कुण्डलिनी शक्ति (आध्यात्मिक शक्ति) को जागृत करने के लिए यह एक शक्तिशाली अभ्यास है। यह शक्ति मूलाधार चक्र में रहती है / स्थूल रूप से इस शक्ति - जागरण का प्रकटन. शारीरिक शक्ति तथा सहन शक्ति की वृद्धि के रूप में होता है। 324 .