________________ योनि मुद्रा योनि मुद्रा विधि किसी आरामदायक ध्यान के आसन में बैठिये / पद्मासन या सिद्धासन को प्राथमिकता दीजिये / धीरे-धीरे दीर्घ पूरक कीजिये / श्वास रोकिये / हाथों को उठाकर मुँह तक लाइये / कर्ण-छिद्रों को अंगूठों, आँखों को दोनों तर्जनियों तथा नासिका - छिद्रों को मध्यमा अंगुलियों से बंद कीजिये / दोनों हाथों की अनामिका एवं छोटी अंगुलियों को होठों के ऊपर एवं नीचे रखते हुए मुँह को बंद कीजिये / श्वास को भीतर रोकते हुए बिन्दु पर ध्यान कीजिये। नाद को ग्रहण करने का प्रयास करें। आरामदायक स्थिति तक श्वास रोकने के उपरांत नासिका पर से अंगुलियों को हटा लीजिये। . रेचक कीजिये / अन्य अंगुलियाँ अपने स्थानों पर ही रहेंगी। पूरक कीजिये / इसके अंत में पुनः दोनों नथुनों को बन्द कर लीजिये / वर्णित क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये / टिप्पणी - वद्धयोनि आसन देखिये। समय समय की सुविधानुसार। एकाग्रता 'बिन्दु चक्र पर। लाभ . . यह प्रत्याहार की शक्तिशाली क्रिया है। . वास्तविकतः यह प्रक्रिया नाद योग की है जिसमें अभ्यासी बिन्दु से उत्पन्न होने वाली विभिन्न सूक्ष्म ध्वनियों का अनुभव प्राप्त करता है। 321