________________ महावेध मुद्रा महाबेध मुद्रा महावेध मुद्रा विधि ___ दायें पैर की एड़ी को गुदाद्वार के नीचे रखिये तथा बायें पैर को सामने फैलाते हुए बैठ जाइये। सामने झुककर दोनों हाथों से फैले हुए पैर के अंगूठे को पकड़िये / पूरी तरह पूरक कीजिये / तत्पश्चात् दीर्घ रेचक कीजिये | नासिकाग्र दृष्टि कीजिये। जालन्धर बन्ध, मूलबन्ध तथा उड्डियान बन्ध लगाइये / क्रमशः मूलाधार, मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र पर ध्यान कीजिए / प्रत्येक चक्रं पर एक या दो सेकेण्ड अपनी चेतना को रखने के उपरान्त दूसरे चक्र पर चेतना को ले आइये - मूलाधार, मणिपुर, विशुद्धि, मूलाधार, मणिपुर, विशुद्धि... इस प्रकार / आरामदायक स्थिति तक श्वास बाहर रोककर अभ्यास कीजिये / अब क्रमशः उड्डियान बन्ध, मूलबन्ध और अन्त में जालन्धर बन्ध को शिथिल कीजिये। साथ ही नेत्रों को भी शिथिल कीजिये / धीरे-धीरे दीर्घ पूरक कीजिये। लाभ आत्मा से संबंध स्थापित करने का यह बहुत ही शक्तिशाली प्रयोग है। 'बेध' का अर्थ है- बेधना या छेदना। इसमें चेतना द्वारा चक्रों एवं आत्मिक चेतना - पथ को बेधा जाता है / शेष विवरण महामुद्रा की भाँति ही है / ___319