________________ सूर्यभेद प्राणायाम विषि प्राणायाम की स्थिति में आ जाइये / बायें नथुने को तृतीय अंगुली से बंद कीजिये / दाहिने से दीर्घ श्वास लीजिये / दोनों नथुनों को बंद कीजिये / श्वास रोकिये / जालंधर एवं मूलबंध लगाइये / आरामदायक स्थिति तक कुंभक कीजिये / तत्पश्चात् क्रमशः मूलबंध एवं जालंधर बंध को शिथिल कर दीजिये। बाएँ नासिका - छिद्र को तृतीय अंगुली से बंद रखते हुए दाहिने नथुने से रेचक कीजिये। यह एक आवृत्ति हैं / इसी क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये / आवृत्ति 10 आवृत्तियाँ कीजिये। - कुछ हफ़्तों के पश्चात् धीरे - धीरे कुम्भक की अवधि बढ़ाइए / सावधानी भोजन के समय एवं भोजन के उपरांत दाहिना स्वर प्रवाहित होना चाहिए; अन्यथा अपचन होता है। - योग्य निर्देशक से प्रशिक्षण प्राप्त करें / लाभ .. इस प्राणायाम से पिंगला नाड़ी क्रियाशील होती है। टिप्पणी कुछ अन्य ऐसे प्राणायाम भी हैं जो बायें नासिका छिद्र द्वारा इडा या चंद्र' नाड़ी पर प्रभाव डालते हैं। विभिन्न व्यक्तियों पर इनका प्रभाव भिन्नभिन्न पड़ता है। अतः योगशास्त्रानुसार उनका वर्णन व अभ्यास वर्जित 283