________________ शीतली प्राणायाम ( :. शीतली प्राणायाम शीतली प्राणायाम विधि ध्यान के किसी भी आसन में बैठिये / हथेलियों को घुटनों पर रखिये / जिह्वा को मुँह के बाहर निकाल उसके दोनों किनारों को इस भाँति मोड़िये कि उसकी आकृति एक नलिका सी हो जाये। इस मुड़ी हुई जिह्वा से 'प्रस्तावना' में वर्णित विधि से श्वास लीजिये। श्वास रोकिये तथा जालंधर बंध लगाइये / कुछ समयोपरान्त जालंधर बंध हटाकर नासिका से रेचक कीजिये। आवृत्ति अन्य प्राणायाम के साथ इस अभ्यास की नौ आवृत्तियाँ पर्याप्त हैं। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को प्राणायाम का यह अभ्यास नौ आवृत्तियों से आरंभ कर साठ आवृत्तियों तक बढ़ाना चाहिए। टिप्पणी नलिकाकृति-जिह्वा वायु को शीतल कर फेफड़ों में भेजती है जिससे पूर्ण शरीर को शीतलता प्राप्त होती है / इसी विशेषता के कारण इस प्राणायाम को यह नाम दिया गया है। लाभ स्नायुओं को शिथिलता, मानसिक स्थिरता एवं शांति प्रदान करता है। सम्पूर्ण शरीर में 'प्राण' के मुक्त प्रवाह को प्रेरित करता है। प्यास को कम करता है व रस्त - शुद्धिकरण करता है। 276