________________ पूरक के अन्त में दोनों नथुनों को बन्द कीजिये / पाँच की गिनती तक श्वास रोकिये। दाहिने नथुने से रेचक कीजिये। अब बायें नथुने को बन्द रखते हुए दाहिने से पूरक कीजिये / पुनः दोनों नथुनों को अंगूठे एवं तृतीय अंगुली से बन्द रखते हुए श्वास रोककर पाँच तक गिनती गिनिये / दाहिने नथुने को बन्द ही रखिये / बायें नथुने को मुक्त करते हुए उससे रेचक कीजिये। यह एक आवृत्ति हैं। अभ्यास की 25 आवृत्तियाँ कीजिए / कुछ दिन के अभ्यासोपरांत पूरक, कुम्भक एवं रेचक का अनुपात 1:2:2 कीजिए अर्थात् यदि पाँच की गिनती तक पूरक करते हैं तो दस कुम्भक एवं दस की ही गिनती तक रेचक कीजिये। कुछ दिनों के उपरान्त पूरक में एक इकाई की वृद्धि कीजिये (अर्थात् पाँच के स्थान पर छः तक की गिनती)। तब कुम्भक एवं रेचक में दो इकाई का योग हो जायेगा (अर्थात् बारह की गिनती तक कुम्भक एवं बारह की गिनती तक रेचक)। सुखपूर्वक अवस्था तक ही अवधि में वृद्धि करनी चाहिए / अभ्यासी को तनिक भी असुविधा की अनुभूति नहीं होनी चाहिए। पुनः आवृत्ति की अवधि में वृद्धि कीजिये / अनुपात वही रहेगा। कुछ हफ्तों या महीनों के उपरांत अनुपात में निम्न परिवर्तन कीजिये - अनुपात की वृद्धि 1:6:2 कीजिये। इसमें अधिकार प्राप्ति पर 1:6:4 का अनुपात रखिये / . यह भी सिद्ध हो जाने के बाद 1:8:6 के अनुपात में अभ्यास कीजिये / यह अंतिम अनुपात है। यदि आप सुखपूर्वक 1:8:6 के अनुपात से 25 आवृत्तियाँ कर सकते हों तो चतुर्थ अवस्था का अभ्यास प्रारम्भ कीजिये / 273