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________________ सीमाएँ वे लोग जो पेट में छाले. टी.बी., आँत उतरने जैसे दीर्घ व स्थायी रोगों से पीड़ित हैं अथवा जिनकी हड्डी टूट गयी हो, उन्हें आसनों का अभ्यास प्रारम्भ करने से पूर्व किसी योग-शिक्षक अथवा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये / यदि कोई व्यक्ति यह अनुभव करे कि किसी कारणवश उसे आसन नहीं करना चाहिये तो उसे विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिये। अभ्यास का समय ... भोजन के बाद के समय को छोड़कर आसनों को कभी भी किया जा सकता है। वैसे सभी यौगिक अभ्यासों को करने का सबसे उत्तम समय प्रातः चार से छः बजे है / संस्कृत में इस समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है। यह समय उच्च-यौगिक अभ्यासों हेतु अत्यन्त उपयुक्त एवं ग्रहणशील है / इस समय वातावरण शुद्ध, शान्त व सौर-किरणों से परिपूर्ण रहता है / पेट और आँतों की गतिविधियाँ रुक चुकी होती हैं, मन के चेतन-स्तर पर कोई गहरी छाप नहीं होती और पूरे दिन की तैयारी में विचारों से शुन्य रहता है। संभवतः अभ्यासी को शाम की अपेक्षा इस समय मांसपेशियाँ अधिक कड़ी लगें। वैसे नियमित और लगन से किये गये अभ्यास से मांसपेशियाँ इतनी लचीली हो जायेंगी कि यदि कभी शाम को आसन किये जायें तो शरीर तुलनात्मक रूप से रबर का एक टुकड़ा सा लगेगा। सर्वप्रथम आसन, फिर प्राणायाम और अन्त में ध्यान करें। विशेष आसन क्रम के अभ्यास के लिए योग शिक्षक से सलाह लें। शारीरिक चेतना ___ आप जब भी आसन करें, उन्हें बहुत धीरे-धीरे करें और पूरे शरीर के प्रति सचेत रहें। यदि आप दर्द या सुख का अनुभव करें तो बिना किसी प्रतिक्रिया के इस भावना के प्रति केवल सचेत एवं जागरूक रहें। इस प्रकार आपमें एकाग्रता एवं सहनशक्ति विकसित होगी। वस्त्र ___आसन करते समय ढीले, हल्के और आरामदायक वस्त्र धारण करना अधिक सुविधाजनक रहता है / अभ्यास प्रारम्भ करने से पूर्व चश्मा, कलाईघड़ी, आभूषण आदि उतार देने चाहिये / 12.
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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