________________ प्राणायाम से पूर्व के अभ्यास प्राणायाम से पूर्व फेफड़ों की सफाई या दिन के किसी भी समय अभ्यास के लिए नीचे वर्णित सरल श्वसन-अभ्यास बहुत ही लाभप्रद हैं / फेफड़ों के निम्न प्रदेश में एकत्रित अशुद्ध वायु के निष्कासन में इनसे बहुत सहायता मिलती विधि 1 भूमि पर बैठिये या खड़े हो जाइये / पीठ सीधी रहे। . .. बैठी अवस्था में हाथ भूमि पर तथा खड़े हों तो जाँघ पर रहें। दोनों हाथों को धीमी गति से उठाते हुए उदर से पूरक कीजिये। . . . हाथों को उठाने से छाती में विस्तार होगा और अधिक से अधिक मात्रा में वायु का प्रवेश फेफड़ों में होगा। उदर के स्नायुओं को सिकोड़ते हुए तथा हाथों को धीरे-धीरे नीचे लाते हुए रेचक कीजिये / इस क्रिया द्वारा फेफड़ों से अधिक से अधिक वायु का निष्कासन होगा। इसकी पुनरावृत्ति कीजिए। विधि 2 हस्त उत्तानासन कीजिये (आसनों के अध्याय में पृष्ठ 96 देखिये)। हाथों को सिर के ऊपर उठाते तथा उदर का विस्तार करते हुए पूरक कीजिये / हाथों को नीचे की ओर लाते हुए उदर के स्नायुओं को सिकोड़िये तथा रेचक कीजिये। विधि 3 उत्थित लोलासन का अभ्यास कीजिये (पृष्ठ 103 पर देखिये)। हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए दीर्घ पूरक कीजिए / तत्पश्चात् रेचक करते हुए, कमर से शरीर को मोड़ते हुए धीरे से एकदम सामने झुकिये / सामने झुककर दस बार 'हा' 'हा' 'हा' शब्द का उच्चारण कर अनुभव कीजिये कि फेफड़े पूर्णतः वायुरहित हो गये हैं या नहीं। भुजाओं एवं शरीर को उठाते समय धीरे-धीरे पूरक कीजिये / खड़े रहिये / हाथ सिर के ऊपर ही रहेंगे / कुछ मिनट तक दुहराइये / फेफड़ों को रिक्त करने व वायु के निष्कासन की यह उत्तम विधि है / 268