________________ उदर द्वारा श्वसन शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य हेतु श्वास-प्रश्वास की विधि ... प्राणायाम के अभ्यास के लिए यह एक अति आवश्यक प्रस्तावना है। अधिकांश व्यक्ति गलत ढंग से श्वास- क्रिया करते हैं। फेफड़ों के कुछ भाग की क्षमता का ही उपयोग करते हुए हम अधूरी श्वास ही लिया करते हैं। श्वास - गति में समानता नहीं होती, वह लययुक्त नहीं रहती / इसके कुपरिणाम के कारण हमारे समस्त शरीर एवं मस्तिष्क में पोषण की कमी हो जाती है। परन्तु ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि वातावरण की वायु में पर्याप्त मात्रा में ओषजन उपस्थित रहती है / उथली. श्वास क्रिया के कारण फेफड़ों के निम्न प्रदेश में अधिक काल तक वायु एकत्रित रह जाती है। वर्तमान में अनेक बीमारियों जैसे क्षय रोग आदि का यही कारण है। विशेषकर स्त्रियाँ इसके लिए दोषी हैं क्योंकि चुस्त कपड़े पहनकर वे दीर्घ श्वास - क्रिया में अवरोध उत्पन्न कर देती हैं / अतः आइये, उचित श्वसन - प्रक्रिया का अध्ययन कर हम स्वास्थ्य-लाभ करें / यह अवश्य स्मरण रखिये कि श्वास के बिना हम जीवित नहीं रह सकते तथा आधी श्वास लेने से हमारी उम्र भी आधी हो जाती है। श्वसन - प्रक्रिया का विभाजन दो वर्गों में किया जा सकता है :(1) उदर द्वारा श्वसन इसे श्वास-पटल द्वारा श्वसन क्रिया (diaphragmatic respiration) भी कहते हैं। बैठकर या चित लेटकर एक हाथ को नाभि पर रखकर इसकी अनुभूति स्वयं की जा सकती है / दीर्घ पूरक कीजिये / आप देखेंगे कि उदर 265