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________________ जीवन-अवधि बहुत कम होती है। ह्वेल के दिल की धड़कन प्रति मिनट सोलह की दर से तथा हाथी की प्रति मिनट पचीस रहती है। ये दोनों ही दीर्घ आयु के लिए प्रख्यात हैं। स्वर योग ..... स्वर योग, योग की ही एक शाखा है / इसका संबंध श्वसन - क्रिया के अध्ययन से है। जीवन की पूर्णतः ज्ञान-प्राप्ति के लिए यह एक शक्तिशाली विधि है / इस विज्ञान के अध्ययन से जीवन-सम्बन्धी अनेक गुप्त बातों का अनावरण हो जाता है। नासिका-श्वसन के सूक्ष्म परिवर्तन द्वारा स्वर योगी पहले से ही भविष्य का ज्ञान प्राप्त कर लेता है / यह भी ज्ञात कर लेता है कि कार्य में उसे सफलता प्राप्त होगी या नहीं / प्रत्येक व्यक्ति इस बात का अनुभव करता है कि परिस्थिति के अनुसार एवं चारों ओर के वातावरण के अनुसार किस प्रकार श्वास में परिवर्तन होता है। उदाहरणार्थ- यदि एक व्यक्ति क्रोधित है या उसमें भावनात्मक उथल-पुथल है तो उसके श्वास की गति एवं दर बढ़ जाती है। इससे जीवन की अवधि तथा क्षमता कम हो जाती है। निम्न सारणी से यह स्पष्ट हो जातं है कि विभिन्न कार्यों तथा मानसिक अवस्थाओं में रेचक के समय नासिका से श्वास की कितनी दूरी रहती है। सामान्य अवस्था 6 अंगुल भावनापूर्ण स्थिति 12 अंगुल गायन - काल 16 अंगुल भोजन-काल 20 अंगुल चलते समय 24 अंगुल सोते समय 30 अंगुल काम - क्रिया के समय 36 अंगुल व्यायाम के समय 36 अंगुल टिप्पणी ___एक अंगुल एक अंगुली की चौड़ाई के बराबर होता है। यह स्थूल उदाहरण है / इन श्वासों द्वारा व्यक्ति के विषय में अधिक सूक्ष्म बातों का भी पता लगाया जा सकता है। किस नासिका छिद्र से श्वास का प्रवाह हो रहा है, यह ज्ञात करके भी मनुष्य की क्रियाओं के ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है, 262
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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