SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वायु परम्परानुसार सभी प्राण शक्तियों पर 'वायु' का नियंत्रण रहता है। प्रत्येक वायु का संबंध प्रत्येक प्राण के साथ है और उनके नाम भी वही हैं। उदाहरणार्थ - अपान वायु का नियंत्रण अपान जीवन-शक्ति से है / श्वसन - प्रक्रिया द्वारा यही वायु उत्पन्न होती है / वायु के माध्यम से ही प्राणायाम की क्रिया शरीर की प्राण-शक्ति पर प्रभाव डालती है। श्वास तथा जीवन-प्रक्रिया के मध्य संबंध मानवीय-जीवन अवधि श्वसन - प्रणाली पर निर्भर है। दीर्घ एवं धीरे श्वास लेने वाला व्यक्ति अल्प एवं जल्दी श्वास लेने वाले व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक काल तक जीवित रहता है / प्राचीन योगी इस विषय में इतना विश्वास रखते थे कि वे मनुष्य की आयु श्वास की संख्या में गिनते थे; हमारी तरह वर्ष से उसकी गणना नहीं करते थे। उनका विचार था कि व्यक्तिगत भिन्नतानुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन-काल में श्वसन-संख्या निश्चित रहती है। प्रत्येक श्वास की लम्बाई बढ़ाकर अवधि या उम्र भी अवश्य बढ़ाई जा सकती है / प्रत्येक श्वास को दीर्घ - गहरी बनाकर प्रत्येक श्वास से अधिक प्राण. शक्ति ग्रहण की जा सकती है / इस प्रकार एक व्यक्ति अपने जीवन का अच्छा उपभोग कर सकता है। ___प्राचीन योगी जंगल में और एकान्तवास में रहा करते थे / जंगली जानवरों से उनका अधिक सम्पर्क रहता था। बाहरी लगाव या आकर्षण न होने के कारण वे जानवरों के विस्तृत अध्ययन हेतु समर्थ थे। उन्होंने अनुभव किया कि सर्प, हाथी, कछुआ आदि जानवर लम्बी श्वास लेते हुए दीर्घ काल तक जीवित रहते हैं। इसके विपरीत तीव्र गति से श्वास लेने वाले पक्षी, कुत्ता, खरगोश आदि की जीवनावधि कम होती है / इस अवलोकन के परिणामस्वरूप उन्हें दीर्घ श्वसन-प्रणाली का महत्त्व ज्ञात हुआ / आधुनिक व्यक्ति विशेषकर अनुद्योगी व्यक्ति को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि उन्हें छोटी श्वास लेने की बहुत आदत रहती है। इस प्रस्तावना में आगे वर्णित सही श्वसन प्रणाली के पठन एवं अभ्यास की नेक सलाह उन्हें दी जाती है। यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि श्वसन की दर का संबंध प्रत्यक्षतः दिल से है। धीमी श्वास गति से दिल की धड़कन भी मन्द रहती है जो लम्बी उम्र प्रदान करती है। उदाहरण के लिए कुछ जानवरों का अवलोकन कीजिये / एक चूहे के दिल की धड़कन की गति प्रति मिनट एक हजार होती है / उसकी जीवन - 261
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy