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________________ प्राणायाम प्रस्तावना प्राण वह वायवीय शक्ति है जो समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त है / वह सजीव या निर्जीव सभी वस्तुओं में समाविष्ट है। पत्थरों, कीड़े-मकोड़ों, प्राणियों तथा स्वाभाविकतः मानव जाति में भी वह निहित है। श्वास द्वारा ली जाने वाली वायु से उसका घनिष्ठ सम्बन्ध है; परन्तु यह न समझ लेना चाहिए कि दोनों एक ही वस्त हैं। प्राण हवा की अपेक्षा अधिक सूक्ष्म है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्राण वह मूलशक्ति है जो वायु तथा समस्त सृष्टि में व्याप्त है। आयाम का अर्थ है - विस्तार | अतः प्राणायाम प्रक्रियाओं की वह श्रृंखला है जिसका उद्देश्य शरीर की प्राण-शक्ति को उत्प्रेरणा देना, बढ़ाना तथा उसे विशेष अभिप्राय से विशेष क्षेत्रों में संचारित करना है / प्राणायाम का अन्तिम उद्देश्य सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित 'प्राण' को नियंत्रित करना भी है। प्राणायाम से शरीर को लाभ है; परन्तु इसे शरीर को अतिरिक्त ओषजन प्रदान करने वाला मात्र श्वसन व्यायाम ही नहीं समझना चाहिए। सूक्ष्म रूप से प्राणायाम श्वसन के माध्यम से प्राणमय कोष की नाड़ियों, प्राण नलिकाओं एवं प्राण के प्रवाह पर प्रभाव डालता है / परिणामतः नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है तथा भौतिक और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। कुम्भक अर्थात् श्वास रोकने से 'प्राण' पर नियंत्रण प्राप्त होता है तथा साथ ही मन पर अधिकार हो जाता है। 258
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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