________________ द्वि पाद शिरासन द्वितीय अवस्था प्रथम अवस्था . दि पाद शिरासन विधि प्रथम अवस्था- एक पाद शिरासन कीजिये / तत्पश्चात् दूसरे पैर को भी धीरे-धीरे ग्रीवा के पीछे रखिये / पैरों को कैंचीनुमा स्थिति में लाकर बाँध लीजिये। हथेलियों को जमीन पर जाँघों के बाजू में रखिये / मेरुदंड की अंतिम अस्थि (पुच्छास्थि) पर संतुलन का प्रयास कीजिये / * हाथों को छाती के सम्मुख जोड़कर रखिये / सम्भावित अन्तिम अवस्था में से यह प्रथम अवस्था है। द्वितीय अवस्था- भुआओं के बल पर शरीर को भूमि से ऊपर उठाइये / पूरा शरीर सिर्फ हथेलियों पर ही रहेगा / यही द्वितीय अवस्था है। आरामदायक अवधि तक यह अभ्यास करने के उपरान्त शरीर को जमीन पर वापस ले आइये और शरीर को शिथिल कीजिये / टिप्पणी यह एक पाद शिरासन की भाँति है। अन्तर इतना है कि इस अभ्यास में पैरों को ग्रीवा के पीछे रखा जाता है; अतः इसे द्वि पाद कंधरासन भी कहते हैं (पृष्ठ 201) / अन्य वर्णन द्वि पाद कंधरासन की तरह है। 257