________________ पादांगुष्ठासन पादांगुष्ठासन पादांगुष्ठासन विधि उक. बैठ जाइये / एड़ियों को ऊपर उठाइये / घुटनों को नीचे झुका कर जाँघों को क्षैतिज स्थिति में लाइये | एक पैर को दूसरे पैर की जाँघ पर रखिये / * सन्तुलन रखने वाले पैर का दबाव गुदा एवं लिंग प्रदेश के मध्य हो / दोनों हथेलियों को छाती के सामने जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में रखिये / एकाग्रता __ एक बिन्दु पर दृष्टि केन्द्रित करते हुए सन्तुलन रखने पर। समय जितनी देर संभव हो, क्रमशः दोनों पैरों से संतुलन का अभ्यास करें / लाभ प्रजनन - संस्थान को नियमित करता है / ब्रह्मचर्य - पालन व धातु प्रमेह में लाभदायक है। समतल पैरों (flat foot) को ठीक करता है / पैरों के अग्र भागों तथा टखनों को शक्ति प्रदान करता है। 235