________________ पुराने अभ्यासी उठाये हुए पैर से ठुड्डी का स्पर्श कर सकते हैं। बिना किसी असुविधा के कुछ समय इस अवस्था में रुकिये। अब हाथों को शिथिल कर प्रारम्भिक अवस्था में लौट आइये / विधि 3 प्रथम क्रिया की पुनरावृत्ति बायें पैर को उठाते हुए कीजिये / दाहिने हाथ को दाहिने बाजू में ही ऊपर की ओर उठाइये / उठे हुए पैर को धड़ के अधिकतम निकट लाने की कोशिश कीजिये / आरामपूर्वक जितनी देर सम्भव हो, इस स्थिति में रुकिये / तत्पश्चात् हाथ की पकड़ ढीली कर पैर को भूमि पर सीधा टिकाइये / श्वास सीधे तने हुए पैर को ऊपर एवं शरीर के निकट लाते समय रेचक कीजिये। अन्तिम अवस्था में लम्बा पूरक कीजिये / तने हुए पैर को नीचे लाते समय रेचक कीजिये / समय :: पूर्णावस्था को 1 मिनट तक बनाये रखिये | इतनी ही अवधि अन्य दो प्रक्रियाओं के लिये भी उपयुक्त है। दोनों पैरों से 5 - 5 बार इस क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये / - यदि समय पर्याप्त हो तो तीनों प्रक्रियाओं का अभ्यास करना चाहिये / एकाग्रता शरीर के सम्मुख किसी स्थिर बिन्दु पर / लाभ एकाग्रता में वृद्धि करता है। मांसपेशियों एवं नाड़ी-तन्तुओं के मध्य सहयोग स्थापित करता है। . पैरों के स्नायुओं को सीधा कर उन्हें बल - प्रदान करता है / 231