________________ द्वि हस्त भुजंगासन द्वि हस्त भुजंगासन वि हस्त भुजंगासन विधि पैरों को परस्पर करीब आधा मीटर दूर रखकर बैठ जाइये। पैरों के मध्य जमीन पर दोनों हथेलियों को सीधा टिका दीजिये। बायें पैर को बायीं भुजा के ऊपरी प्रदेश पर बाहरी ओर टिकाइये।.. इसी भाँति दाहिने पैर को दाहिनी केहुनी के ऊपर रखिये। यह अन्तिम क्रिया सन्तुलन को सम्भालते हुए करनी चाहिये / जितनी देर आराम से रह सकें, स्थिर रहिये तथा फिर लौट आइये / श्वास अन्तिम स्थिति में श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया सामान्य रहेगी। एकाग्रता शारीरिक सन्तुलन पर। लाभ भुजाओं की मांसपेशियों में वृद्धि करता है। कन्धों की सन्धियों को लचीला बनाता है। उदर, पेड़ एवं उसके पृष्ठ - प्रदेश, वृक्क तथा तिल्ली की अच्छी मालिश करता है। क्लोम ग्रंथि से मधुवशि (इन्सुलिन) के स्राव हेतु उत्प्रेरक का कार्य करता है / अतः मधुमेह के रोगी के लिये लाभप्रद है। 232