________________ वशिष्ठासन बशिष्ठासन वशिष्ठासन विधि दाहिना पैर बायें पैर पर रखकर बायीं ओर लेट जाइये / बायीं हथेली को बायें कंधे की सीध में जमीन पर रखिये / इस हाथ की अंगुलियाँ पैर की विरुद्ध दिशा में अर्थात् बाहर की ओर खुली रहें / बायीं केहुनी को सीधा कीजिये तथा धड़ को जमीन से ऊपर उठाइये / नितम्बों को इतना उठाइये कि शरीर तनी हुई दशा में आ जाये / बायें पैर एवं हाथ पर शरीर 30 अंश का कोण बनाते हुये सधा रहेगा। दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अग्र-प्रदेश को पकड़िये / इस पैर को ऊपर उठाकर सीधा तानकर रखिये। पैरों पर दबाव डालते हये शरीर को प्रारंभिक दशा में ले आइये / श्वास अंतर्कुम्भक लगाकर इस आसन का अभ्यास कीजिये। .. पैरों की उठी स्थिति में सहज श्वास का अभ्यास किया जा सकता है। आवृत्ति . दोनों पैरों से अधिक से अधिक 5 बार आसन का अभ्यास कीजिये / एकाग्रता शरीर के संतुलन एवं पैरों की मांसपेशियों के शिथिलीकरण पर / लाभ - पैरों के स्नायुओं की मालिश होती है, भुजाओं को शक्ति मिलती है। 223