________________ .. उत्थित हस्त मेरुदण्डासन अश्व संचालन आसन उत्थित हस्त मेरुदण्डासन 2 यह मेरुदण्डासन की भाँति है, अन्तर इतना ही है कि पैरों को परस्पर दूर न कर उन्हें समीप ले आइये / हाथ एवं पैर तने रहें। शेष वर्णन मेरुदण्डासन की तरह ही है। अश्व संचालन आसन 3 विधि सीधे बैठ जाइये। दोनों पैर एक-दूसरे के समीप रहें / घुटने छाती के पास रहें। हाथों को कुहनियों से मोड़िये, ताकि मुट्ठी घुटने पर बाहर की ओर रखी जा सके। हाथों एवं पैरों को सीधा करते हुये पीछे झुकिये / हाथ और पैर पूरी तरह तने रहें तथा मुट्ठियाँ घुटनों पर रहें। .... पूरा शरीर नितम्बों पर सन्तुलित रहेगा। पैरों को सीधा रखते हुए उन्हें और ऊपर उठाने का प्रयत्न कीजिये / कुछ समय तक अन्तिम अवस्था बनाये रखिये / तत्पश्चात् प्रारम्भिक अवस्था में लौट आइये / कुछ विश्रान्ति के बाद पुनः यह आसन कीजिये। टिप्पणी प्रारम्भिक अभ्यासियों के लिए यह उपयुक्त आसन है। इस आसन में सफलता प्राप्ति के पश्चात् मेरुदण्डासन या उत्थित हस्त मेरुदण्डासन का अभ्यास करना चाहिये / शेष विवरण मेरुदण्डासन के समान रहेंगे। 222